51 किलो पत्थर की कुंडी में शालिग्राम को विराजमान कर कृत्रिम तालाब में तैराया,
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इस मौके पर शहर के मंदिरों से ठाकुर जी की रेवाड़ियां निकालकर श्रद्धालु विभिन्न तालाबों पर पहुंचे तथा स्नान करवाकर पूजा-अर्चना की।
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नागौर में धूमधाम से मनाया देवझूलनी का पर्व
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निकाली ठाकुरजी की रेवाड़ियां
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गिनाणी तालाब की पाल पर बनी नृसिंहजी की बगेची के बाहर 51 किलो पत्थर की कुंडी में शालिग्राम जी को विराजमान कर शाम को कृत्रिम तालाब में झुलाया गया।
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इस मौके पर नगर परिषद् सभापति मीतू बोथरा, अरबन बैंक अध्यक्ष नरेन्द्र कच्छावा व पूर्व पार्षद प्रेमचन्द्र लुणावत ने विधि-विधान से पूजन किया।
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नृसिंह बगेची के ट्रस्टी सपत सेन व भास्कर खजान्ची ने बताया कि गिनाणी तालाब के गन्दे पानी को देखते हुए नृसिंहजी की बगेची के बाहर तालाब के घाट की सीढ़ियों पर तिरपाल की मदद से कृत्रिम तालाब बनाया गया।
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इसमें 250 वर्ष पूर्व व राघव जी महाराज के समय की 51 किलो पत्थर की कुण्डी में नृसिंह व शालिग्राम भगवान को विराजमान कर तैराया व झुलाया गया। लाल व पीला पत्थर की यह कुंडी एक ही पत्थर की बनी हुई है।
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कुण्डी में झूलते हुए भगवान के दर्शनों के लिए बच्चों, महिलाओं व पुरुषों की भीड़ लगी रही। इसके साथ ही भक्ति संध्या का भी आयोजन किया गया, जिसमे कैलाश गौड ने गौरी के नन्दा गजानन्द..., झालर शंख नगारा बाजे रे... सालासर में हनुमान विराजे रे...., आओ हारा नटवर नागरिया... भजन प्रस्तुत किए। रामसुख देवडा ने सांवरा में तेरे रंग राती रे..., नरेन्द्र जोशी ने ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने... भजन प्रस्तुत किए। तबला पर राकेश व पेड पर दिलीप गौरमात एवं ऑर्गन पर ललित व्यास ने संगत की। इस अवसर पर पंडित लक्ष्मीनारायण ने पूजन व आरती करवाई।
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शहर से निकाली रेवाड़ियां देवझूलनी एकादशी पर शहर के विभिन्न मंदिरों से ठाकुर जी की रेवाड़ियां निकाली गईं, जिनमें बड़ी संया में श्रद्धालु शामिल हुए।
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इस दौरान बंशीवाला मंदिर, गोपीनाथ मंदिर, झूलेलाल मंदिर सहित शहर के अन्य कृष्ण मंदिरों से भी ठाकुरजी की रेवाड़ी निकाली गई। शहर के बतसागर तालाब, गिनाणी तालाब व जड़ा तालाब पर भगवान को स्नान करवाकर पूजा अर्चना की।
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झूलेलाल मंदिर से रेवाड़ी निकालकर जड़ा तालाब पर पानी पिलाया गया। इस दौरान लोगों ने रेवाड़ी के नीचे से निकलकर स्वास्थ्य लाभ की कामना की।
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