पत्रिका संवाददाता से बातचीत में निर्मल जोधा ने बताया कि उन्हें बचपन से ही निशाना साधने का शौक था. अपने दादा स्वर्गीय उम्मेद सिंह की प्रेरणा से उसने आगे भी इस शौक को जारी रखा। गांव में गणगौर के पर्व के अवसर पर गढ़ में निशाने लगाने की परंपरा थी तो उस समय निर्मल जोधा भी सभी के साथ निशाना साधने का प्रयास करती थी।वर्तमान मेंं स्वयं के साथ अपनी 5 वर्षीय बच्ची दिया सोलंकी को भी शुरू से ही आज के समय के मध्यनजर आत्मरक्षा के गुर सिखा रही है।
निर्मल जोधा ने बताया कि उनकी शादी राजसमंद जिले के जिलनवाद गांव में हो गई. शादी के बाद भी उनके परिवार द्वारा उनके शौक को पूरा करने मेंं मदद की। निर्मल ने बच्चियों को संदेश देते हुए कहा कि उन्हें अपनी शक्ति व प्रतिभा को पहचान कर बिना डरे उसे विकसित करना चाहिए। सोशल मीडिया में जारी वीडियो में निर्मल जोधा अपने मोबाइल के फ्रंट कैमरे से देखकर उल्टे निशाने साधती नजर आ रही है। निर्मल इसका श्रेय बचपन से मिली विरासत को देती हुई कहती हैंं कि बचपन में मेरे दादोसा ने मुझे और मेरी दीदी विमल जोधा के साथ साथ मेरी चचेरी बहन जसवंत जोधा को निशानेबाजी सिखाना शुरू कर दिया था. मेरे 4 भाइयों गोवर्धन सिंह, लोकेंद्र सिंह, लक्ष्मण सिंह और नरेंद्र सिंह को घुड़सवारी तथा निशानेबाजी सीखने में जितना वक्त देते उससे कहीं ज्यादा अपनी पौत्रियों को निशानेबाजी के गुर सिखाने में जुटे रहते ताकि बेटियां बेटों से कम न रहें।
निर्मल ने बताया कि मोबाइल के फ्रंट कैमरा से देखकर उल्टे निशाना साधना इस कोरोना काल में ही सीखा है। राजसमन्द के सोलंकी परिवार की बहू निर्मल खुद को इस मायने में खुशनसीब मानती है कि पिता प्रताप सिंह जोधा ने तो बेटियों की हौसला अफजाई की ही पति पराक्रम सिंह सोलंकी ने भी बचपन के इस शौक को पूरा करने में हरसंभव मदद की।