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भारतीय संस्कृति में वास्तु का महत्व विज्ञान सम्मत: सेठी

locationनागौरPublished: Oct 17, 2021 08:08:20 pm

Submitted by:

Ravindra Mishra

छोटीखाटू (nagaur). हमारी संस्कृति में वास्तु का महत्व केवल तार्किक नहीं बल्कि विज्ञान सम्मत है। घर परिवार में हमारे व्यवहार-संस्कार या परम्पराएं सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के स्रोत थे, जिन्हें हम आधुनिकता में भूलते जा रहे हैं। ये विचार सुप्रसिद्ध अंक विशेषज्ञ तथा वास्तु शास्त्री डॉ सम्पत कुमार सेठी ने व्यक्त किए।

भारतीय संस्कृति में वास्तु का महत्व विज्ञान सम्मत: सेठी

छोटीखाटू .कस्बे के हिन्दी पुस्तकालय में व्याख्यानमाला को सम्बोधित करते डॉ. सम्पत कुमार सेठी।


वे रविवार को छोटीखाटू कस्बे के हिन्दी पुस्तकालय सभागार में आयोजित कर्मयोगी जुगल किशोर जैथलिया स्मृति व्याख्यानमाला के दौरान ‘वैदिक संस्कृति और वास्तु’ विषय पर बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। उन्होंने प्रणाम एवं पढ़ाई में एकाग्रता बढ़ाने के सूत्रों का विवेचन भी किया। उन्होंने कहा कि हम वास्तु दोष के कारण नाना प्रकार के कष्ट भोग रहे हैं। हमें अपनी संस्कृति की ओर लौटना होगा तभी सच्चा सुख मिलेगा।
कर्मयोगी जैथलिया छोटीखाटू के महान सपूत
प्रसिद्ध अधिवक्ता एवं समाजसेवी राजेन्द्र माथुर ने व्याख्यानमाला की अध्यक्षत करते हुए हमारे जीवन में वास्तु एवं दिशा ज्ञान के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कर्मयोगी जैथलिया को छोटीखाटू का महान सपूत बताया। पुस्तकालय के अध्यक्ष महावीर बजाज ने स्वागत भाषण में जैथलिया के जीवन से जुड़े प्रेरक प्रसंग सुनाए। पूर्व अध्यक्ष कपूरचंद बेताला ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन साहित्य मंत्री जगदीश सिंह राजपुरोहित ने किया।
प्रतिभाशाली विद्यार्थियों का सम्मान
कार्यक्रम के प्रारंभ में निरझरा डूडी ने गीत प्रस्तुत किया तथा रमेश भाटी ने अमृत वचन पढ़ा। अतिथियों का अंगवस्त्र तथा स्मारिका प्रदान कर सम्मान किया गया। कार्यक्रम में डॉ संपत सेठी ने प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को सम्मानित किया। समारोह में गोविंद जैथलिया, डालमचंद धारीवाल, कालूराम सारड़ा, प्रेमसिंह चौधरी, आत्म प्रकाश सैन एवं कमल कामड़ ने भंवरलाल टाक, लालचंद बजाज, ताराचंद धारीवाल, पवन कुमार जोशी, प्रवीण बेताला, भंवर सिंह कोनीयाड़ा, मूलचंद जादम, अनिल बजाज, लक्ष्मण सिंह राठौड़, रामकिशोर टाक, डॉ हरिओम ओझा, ओमप्रकाश दायमा, रामदेव जैथलिया, छोटूलाल वैष्णव, गौरव सारड़ा सहित कफी संख्या में छात्र -छात्राए उपस्थित थे। बंशीधर शर्मा, डॉ तारा दूगड़, गौरीशंकर सारड़ा, डॉ अनिल भंडारी, अरुण प्रकाश मल्लावत, नंदकुमार लढा, भागीरथ चांडक सहित देश के कई शहररों से गणमान्य लोग ऑनलाइन जुड़े रहे।
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