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साठ साल से छकडिय़ां ही बसेरा

locationनागौरPublished: Jan 23, 2019 07:25:22 pm

Submitted by:

Ravindra Mishra

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ren basera

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तरनाऊ। ढेहरी गांव में पिछले साठ साल से निवास कर रहे साटिया जाति के लोगों को आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए भटकना पड़ रहा है। इन लोगों पीड़ा कोई नहीं सुन रहा है। ढेहरी गांव से कसनाऊ जाने वाली सडक़ के पास खाली जमीन पर अपनी पुरानी छकडिय़ों पर डेरा डाले यह दस परिवार आज तक हर सुविधा से मेहरूम है। गांव में इनके भले राशन कार्ड,आधार कार्ड,वोटर कार्ड सहित सरकारी दस्तावेज बन गए हैं, लेकिन मूलभूत सुविधाओं के नाम पर इन लोगों के पास न तो बिजली है,ना ही पीने का पानी। जोगाराम,आशाराम,पुसाराम ने बताया कि हम पिछले साठ वर्षो से ढेहरी गांव में स्थाई रूप से निवास कर रहे हैं पर आज तक हम लोगों के न तो मकान बने हैं और ना ही बिजली,पानी,शौचालय की कोई सुविधा है। पानी गांव में मांग कर हलक तर करते है और नहाने के लिए तो चार दिन तक पानी का इंतजाम होने पर ही नहाना नसीब होता है। इन्होंने बताया कि हमारे यहां रहने के बावजूद हमें कोई सुविधा नहीं मिली,जब भी कुछ सुविधा के लिए मांग करते है तो यह कह मना कर दिया जाता है कि आपके पास जमीन नहीं है,आपका कुछ नहीं हो सकता। जबकि जहां गोचर भूमि पर हम रहते है वहां पास में एक गोचर भूमि पर कॉलोनी बसी है और उन सब लोगों के सरकार से मकान भी बने हुए है। अपनी बात कहते हुए इन लोगों की आंखों में दर्द साफ झलक रहा था। सरकारी फरमान कागजों में सरकार भले ही घुमक्कड़ जातियों के स्थाई निवास के लिए कई प्रयास कर रही है, लेकिन जायल तहसील स्तर पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इस कारण ढेहरी में रहने वाले इन दस परिवारों के साथ और भी कई गांवों में साठिया,जोगी सहित घुमन्तु जातियों के लोगों को दर-दर भटकना पड़ रहा है। महिलाओं को खुले में नहाना पड़ता है- साठिया जाति के इन लोगों ने आज भी छकड़ों पर ही अपना घर बना रखा है,मुलभूत सुविधाओं के लिए भटकते रहते हैं। नहाने के लिए पानी का जुगाड़ करने में ही चार दिन लग जाते है,वहीं महिलाओं को भी छकड़े के टायर के पास बैठकर नहाना पड़ता है। बदतर जिन्दगी जी रहे इन परिवारों का कहना है कि हमारी सुनने वाला कोई नहीं है।क्या कहते है सरपंच-ढेहरी सरपंच सरिता राड़ ने बताया कि साठिया जाति के लोगों के लिए मैने बहुत प्रयास किया। इस जाति के नाम भी बीपीएल सूची में है और इनके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान भी आए हैं, लेकिन जमीन नहीं होने के कारण मकान नहीं बन पा रहे हैं। पास में बसी कॉलोनियां पूर्व सरपंचों के कार्यकाल में बस गई थी। अब पटवारी द्वारा जमीन आवंटित करने पर ही हम मकान बनवा सकते हैं। जमीन आवंटित करना तहसील स्तर का मामला है ।
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