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नागौर

तो न धरती बचेगी, और न ही मानव…!

विधायक हबीबुर्रहमान ने कहा कि पेड़ ही धरती की सुन्दरता के साथ प्राणियों के लिए संजीवनी हैं।

नागौरJul 05, 2018 / 12:56 pm

Sharad Shukla

Nagaur patrika

So neither earth will live nor human …

नागौर. पेड़ के बिना जीवन की कल्पना तक नहीं की जा सकती है। इसे अधिकाधिक लगाने के साथ देखभाल किए जाने पर ही पर्यावरण संतुलित रह सकता है। वे बुधवार को महावीर इंटरनेशनल के 44वें स्थापना दिवस पर जेएलएन परिसर में पर्यावरण महोत्सव के तहत पौधरोपण करने के बाद बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि पेड़ हमें न केवल फल देते हैं, बल्कि प्राणदायिनी ऑक्सीजन के भी मुख्य स्रोत हैं। इसके बाद भी इनको मानव की ओर से नुकसान पहुंचाया जाना समझ से परे है। पेड़ को काटना खुद के पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा बताया गया है। ओसमवाल न्यात के अध्यक्ष गौतम कोठारी ने कहा कि संस्था की ओर से पेड़ों को लेकर किया जाने वाला कार्य सराहनीय है। अधिकाधिक पेड़ लगाए जाने की आवश्यकता है। संस्था अध्यक्ष नरेन्द्र संखलेचा ने कहा कि पौध रोपण करना खुद को सुरक्षित करना है। संस्था के जोन चेयरमैन अनिल बांठिया ने कहा कि पर्यावरण को संतुलित रखना सब की जिम्मेदारी है। संस्था की ओर से अब तक लगाए गए पौधों की जानकारी दी। ग्रीन इंडिया प्रोजेक्ट के संयोजक हिम्मताराम भांभू ने कहा कि अस्पताल परिसर में वर्ष 2013 से अब तक लगाए गए 1470 में से 940 पौधे अब पेड़ बन चुके हैं। इन्हें संवारे रखना होगा। इसमें राजकुमार, राजेश रावल, प्रमिल नाहटा, रिखबचंद नाहटा, विमलेश समदडिय़ा, मूण्डवा के पूर्व प्रधान जानाराम फिड़ौदा,राजकुमार चौधरी आदि मौजूद थे।
खुद ही चल पड़े बच्चों का भविष्य सुधारने
नागौर. राजस्थान पत्रिका एवं जिला प्रशासन की ओर से संयुक्त रूप से चल रही मुहिम में ड्रेस कोड सहित स्कूलों की बेहतरी के लिए बने 10 सूत्रों को अमलीजामा पहनाने के लिए संस्था प्रधान एवं शिक्षक खुद जुडऩे लगे हैं। राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय देऊ के संस्था प्रधान व शिक्षकों ने ऐलान कर दिया है कि हम अपने स्कूल में इसी आने वाले सत्र से ही ड्रेस कोड में आएंगे। इसके लिए उन्हें सरकारी निर्देश की जरूरत नहीं है।
संस्था प्रधान व शिक्षक ड्रेस कोड में आए तो फिर निश्चित रूप से विद्यालय के बच्चे भी अनुशासन की राह पर चलेंगे, शैक्षिक वातावरण भी बेहतर होगा। अपनी इसी सोच के चलते विद्यालय के संस्था प्रधान धनराज खोजा व उनके स्टॉफ ने भामाशाहों की मदद से विद्यालय का नक्शा बदलकर रख दिया है। संस्था प्रधान का कहना है कि तिरंगे की शक्ल में रंगा शायद जिले का यह पहला विद्यालय है।
विद्यालय को हम बनाएंगे बेहतर
संस्था प्रधान धनराज खोजा ने बताया कि विद्यालय के अन्य शिक्षकों के साथ ड्रेस कोड सहित संस्थान की बेहतरी के लिए बने सभी दस सूत्रों पर विचार करने के लिए हुई बैठक में इस पर मंथन किया गया। अंतत: तय हुआ कि इस पर अमल करने से न केवल नौनिहालों को बेहतर शैक्षिक वातावरण मिलेगा, बल्कि स्कूल का रंग ही बदल जाएगा।
यह काम हुए विद्यालय में
भामाशाहों की मदद से विद्यालय में 100 स्टूल मिले। साढ़े तीन लाख की लागत से अत्याधुनिक बालिका शौचालय बना, रंग-रोगन कराया गया, और आठ लघुशंकालय बना। संस्था प्रधान खोजा ने बताया कि इसके अलावा स्कल परिसर का समतलीकरण कराने के साथ ही विद्यालय के सामने स्थित लगे सभी पिलर्स को तिरंगे की शक्ल में पेंट कराया गया। ताकि पूरा विद्यालय एक नजर से तिरंगे की शक्ल में ही नजर आए। इससे बच्चों को देशभक्ति प्रेरणा मिलेगी। इसके पहले राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय खडक़ाली में भी तीन बड़े हाल एवं पानी की प्याऊ आदि का निर्माण कराया गया था।

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