साजिश में भी नशा हथियार कत्ल की अनेक वारदात के खुलासे में भी यह बात सामने आई है। कई बार साजिश रचकर पहले आरोपी शराब अथवा कोई नशा करता है, फिर कत्ल कर दिया जाता है। कई वारदात में किसी को नशा देकर कत्ल करने की बात सामने आती है। असल में कत्ल के पीछे नशे की वजह को पुलिस अपनी पड़ताल में भी प्रमुखता से रखती है। एक अनुमान के मुताबिक करीब तीस-चालीस फीसदी कत्ल में नशा कहीं न कहीं ‘शामिल’ होता है।
कभी दोस्त तो कभी अपना मनोचिकित्सक डॉ. अखिलेश जैन का कहना है कि ऐसे मामले भी बहुत हैं कि जब शराब पीते समय दोस्त झगड़ पड़े, मर्डर हो गया। अनावश्यक शक, जिसकी बुनियाद ही न हो पर उसमें पूरा विश्वास हो अथवा मेरे खिलाफ है अथवा कोई षडय़ंत्र करने जैसी मिथक सोच भी किसी नशेड़ी को कातिल बना देती है। मनोचिकित्सक डॉ.शंकर लाल का कहना है कि नशाखोर आदमी सुसाइड करता है या फिर अपनों की जान भी ले लेता है। ऐसे में पैसा जुटाने के लिए वो मां-बाप को भी मार सकता है या चोरी-लूट भी कर सकता है। अब धैर्य की कमी हो गई है और भावावेश के चलते भी ऐसे मामले बढ़ रहे हैं। नशे में पत्नी की अथवा किसी परिजन की हत्या कई बार मामूली कहासुनी पर ही कर देते हैं।