नागौर

दो महीने में गोटन थाने पहुंचा एसपी का ऑर्डर

पड़ताल
संदीप पाण्डेयनागौर. एसपी ऑफिस से जारी आदेश के एक मेल को गोटन थाना प्रभारी तक पहुंचने में करीब दो महीने लग जाते हैं। डाक के जरिए आदेश जाता तो शायद आठ-दस महीने भी कम पड़ जाते। अजमेर नारी शाला में पिछले साढ़े पांच साल से रह रही नाबालिग के माता-पिता को तलाशने के लिए एक टीम का गठन किया गया है।

नागौरJun 21, 2021 / 01:42 pm

Ravindra Mishra

The campaign Ladesar will be carried out for security of the children

नाबालिग के माता-पिता की तलाश पर छिड़ी रार
-बच्चे चुराने का बहुचर्चित मामला,तीन बच्चों के साथ सलीम हुआ था गिरफ्तार

-अब माता-पिता के पास जाने की जिद, उनको तलाशने के लिए स्पेशल टीम गठित
इस टीम का नेतृत्व गोटन थाना प्रभारी राधेश्याम चौधरी को सौंपा गया है। कोढ़ में खाज वाली कहावत यहां भी चरितार्थ हो रही है, प्रभारी को मेल मिले हुए तीन-चार दिन हो गए, वो इस मामले को पढ़ तक नहीं पाए हैं। तत्कालीन एसपी श्वेता धनखड़ ने अप्रेल के दूसरे हफ्ते मेंऑर्डर जारी किया था जो मेल के जरिए थाना प्रभारी समेत अन्य जिम्मेदारों तक पहुंचा जून के दूसरे सप्ताह में।
सूत्रों के अनुसार मामला गोटन थाने से जुड़ा है। अगस्त 2015 में यहां दस्तयाब एक नाबालिग अभी अजमेर नारी शाला में रह रही है। करीबन तीन महीने पहले उसने जिला बाल कल्याण समिति (सीडब्लूसी) से माता-पिता के पास जाने की बात कहकर उनकी तलाश की गुहार लगाई थी। इस पर समिति ने तत्कालीन एसपी श्वेता धनखड़ को पत्र लिखकर स्पेशल टीम गठित कर बालिका के माता-पिता की तलाश करने के निर्देश दिए थे। बताया जाता है कि अप्रेल के पहले हफ्ते मिले इस पत्र के दो-तीन दिन बाद ही श्वेता धनखड़ ने पांच जनों की स्पेशल टीम का गठन किया। गोटन थाना प्रभारी को इसकी कमान सौंपी। इसके बाद भी यह ऑर्डर एसपी ऑफिस में ही पड़ा रहा। न गोटन थाना प्रभारी के पास पहुंचा न ही अन्य जिम्मेदारों को मिला। पता चला है कि अप्रेल का यह ऑर्डर अभी चार-पांच दिन पहले गोटन थाना प्रभारी और अन्य संबंधित जिम्मेदारों को मेल के जरिए मिला। दो महीने का वक्त केवल आदेश और काम बताने में ही लग गए। ऐसे में पुलिस के मामले सुलझाने की गति कैसे तेज होगी।
मामला बच्चे चुराने का
सूत्र बताते हैं कि अगस्त 2015 को सलीम नामक व्यक्ति के साथ तीन नाबालिगों को दस्तयाब किया था। गोटन थाने में बच्चों के चुराने का मामला तक दर्ज हुआ। सलीम गिरफ्तार हुआ तो एक बच्चा सवाईमाधोपुर तो बच्ची नावां में उनके घर वालों के सुपुर्द कर दी गई। मानव तस्करी विरोधी यूनिट के इंचार्ज एएसआई मेहराम जाखड़ ने अपनी टीम हैड कांस्टेबल रत्ना देवी, सिपाही मुकेश विश्नोई, दिनेश आदि के साथ यह कार्रवाई की। तब सलीम के बच्चे चुराने और उनसे चोरी कराने के साथ भीख मंगवाने की बात सामने आई थी। जाखड़ ने बताया कि एक नाबालिग बच्ची को तब अजमेर भिजवा दिया गया था। उसे जयपुर तब ले जाया गया था, लेकिन उसके हिसाब से माता-पिता की तलाश की, लेकिन पूरी नहीं हुई। सलीम को जेल भेज दिया गया था। ये बच्ची उस समय आठ-नौ साल की थी।
अब घर जाने की जिद
सूत्रों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों से बच्ची अपने घर जाने की जिद कर रही है। पिछले दिनों नारीशाला के जरिए सीडब्लूसी के पास यह पीड़ा आई तो तत्कालीन एसपी श्वेता धनखड़ से इस बाबत टीम गठन करने के निर्देश दिए गए थे। पता चला है कि नाबालिग बच्चों के तलाशने और लावारिस घूम रहे बच्चों की मॉनिटरिंग ठीक नहीं हो रही। इस संदर्भ में कई बार अदालतों को भी दखल करना पड़ा है।
यहां भी निराश हुए पुलिसकर्मी
सूत्रों का कहना है कि सलीम के बच्चे चुराने का मामला कई दिनों तक सुर्खियों में रहा। उसके बाद पुलिसकर्मियों को रिवार्ड देने की बात तब भी हुई। बताते हैं पचास-पचास रुपए बतौर इनाम दिए गए। न प्रमोशन न अन्य कोई तमगा।
इनका कहना है
तीन-चार दिन पहले ही मेल मिला है। मामला पुराना है, अभी उसे देखा नहीं है। आगे उसके बाद ही कार्रवाई करेंगे।

-राधेश्याम चौधरी, गोटन थाना प्रभारी
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मुझे नहीं पता कि मेल किसने और कब भेजा है। अप्रेल-मई में तो मैं कमाण्डो ट्रेनिंग में गई हुई थी। कल पता करती हूं कि आर्डर का मेल किसने और कब भेजा है।
-विमला चौधरी, इंचार्ज मानव तस्करी विरोधी यूनिट, नागौर

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