scriptस्पीड गवर्नर की अनिवार्यता लागू फिर भी सडक़ों का सीना रौंद रहे | Speed governor's mandate is in effect, but still the road sticks | Patrika News

स्पीड गवर्नर की अनिवार्यता लागू फिर भी सडक़ों का सीना रौंद रहे

locationनागौरPublished: Oct 10, 2018 01:37:12 pm

Submitted by:

Sharad Shukla

सभी मुख्य मार्गों से प्रति घंटे निकलते हैं करीब डेढ़ हजार वाहन, जांच एक की भी नहीं, एक साल में एक भी वाहन पर परिवहन विभाग ने नहीं की कार्रवाई

Nagaur patrika

Where the Rajasthan State Road Transport Corporation Buses

नागौर. बिना स्पीड गवर्नर के भारी वाहन जिले की सडक़ों को रौंदने में लगे हुए हैं। न तो गति नियंत्रित है, और न ही किसी प्रावधान की परवाह है। प्रावधानों के तहत स्पीड गवर्नर के साथ ही विंडस्क्रीन पर वाहनों की गति दर्शाने वाला स्टीकर मिलता है, और न ही क्यूआर कोड नजर आता है। प्रावधानों को अंगूठा दिखाते हुए इन वाहन चालकों की तेज रफ्तार की चपेट में आकर अक्सर लोग अनहोनी का शिकार होने लगे हैं। कार्रवाई के नाम पर स्थिति यह हो गई है कि एक साल के दौरान परिवहन विभाग ने न तो एक भी वाहन पकड़ा, और न ही जांच करने की जहमत उठाई। इसकी वजह से बिगड़ते हालात के कारण अब सडक़ों पर आम आदमी का सफर करना मुश्किल होने लगा है।
जिले के नागौर, मकराना, कुचामन, परबतसर, डीडवाना, खींवसर, जायल, डेगाना, मौलासर एवं नावां क्षेत्र में एक साल के दौरान परिवहन विभाग की ओर से वाहनों में स्पीड गवर्नर लगे होने या न लगे होने की कोई जांच नहीं हुई। जांच नहीं होने के कारण स्पीड गवर्नर के कॉलम में विभाग के खुद के आंकड़ों में इसकी स्थिति शून्य है। बसों, ट्रकों सहित अन्य भारी एवं सवारी वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाने के संदर्भ में जांच के लिए पूर्व में हुई जिला यातायात सलाहकार समिति की बैठकों में भी परिवहन विभाग को निर्देश दिए गए थे। बैठक में कार्रवाई करेंगे कहकर निकले अधिकारियों ने आज तक भारी वाहनों में इस संबंध में कोई जांच नहीं की। जानकारों के अनुसार केन्द्रीय बस स्टैंड के पास विजय बल्लभ चौराहा, निजी बस स्टैंड के निकट दिल्ली दरवाजा, बीकानेर-नागौर, बीकानेर-जोधपुर रोड पर प्रति घंटे करीब ढाई सौ भारी वाहनों का आवागमन होता रहता है। प्रत्येक रूटवार आंकड़ों के हिसाब से एक घंटे में लगभग डेढ़ हजार से ज्यादा वाहन गुजर जाते हैं। इस दौरान किसी भी जगहों पर तो परिवहन विभाग के निरीक्षक नजर आते हैं, और न ही अन्य कोई जिम्मेदार…! विभागीय जानकारों का कहना है कि स्पीड गवर्नर नहीं लगा होने के कारण वाहनों की अनियंत्रित गति हादसे बढ़ा रह है।
इसलिए स्पीड गवर्नर लगाना जरूरी
परिवहन विभाग के अनुसार बस, ट्रक, डंपर, स्कूल बसों सहित कामर्शियल वाहनों पर स्पीड गवर्नर लगना जरूरी रहता है। इसके लगने के बाद वाहनों की गति निर्धारित हो जाती है। इसलिए स्पीड गवर्नर वाहनों की गति को नियंत्रित करने के लिए लगाया जाता है। इस डिवाइस को वाहनों में इंजन के साथ लगाया जाता है। इसके लगने बाद चालक अनियंत्रित गति से वाहन नहीं चला सकता है।
छेड़छाड़ होने पर फिटनेस निरस्त
परिवहन विभाग के अनुसार जांच के दौरान स्पीड गवर्नर डिवाइस में छेड़छाड़ पाए जाने पर फिटनेस प्रमाणपत्र निरस्त किया जा सकता है। इसके साथ ही वाहन की विंडस्क्रीन पर वाहन की गति तथा क्यूआर कोड का वर्णन करने वाला एक स्टीकर भी चिपकाया जाना अनिवार्य है। स्पीड गवर्नर परिवहन विभाग की ओर से अनुबंधित कंपनी की ओर से ही लगाया जा सकता है। इसकी अनुमानित कीमत करीब छह हजार बताई जाती है। अन्य का लगाए जाने पर परिवहन विभाग उसे फिटनेस का प्रमाणपत्र नहीं दे सकता है। जानकारों का कहना है कई वाहन चालकों की ओर से घटिया स्तर का दो से ढाई हजार तक का स्पीड गवर्नर लगाकर इतिश्री कर ली जाती है। यही नहीं, लगने के बाद भी इसके तारों से छेड़छाड़ कर इसे बेकार कर दिया जाता है। इससे वाहन पूरी स्पीड़ से दौड़ता है। इस संबंध में परिवहन विभाग की ओर से न तो जांच होती है, और न ही वाहनों के खिलाफ कोई कार्रवाई।
इनका कहना है…
&स्पीड गवर्नर भारी वाहनों को लगाया जाना अनिवार्य है। जल्द ही इस संबंध में अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी।

रमेश वैष्णव, जिला परिवहन अधिकारी नागौर

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो