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आत्मा ही मार्गदर्शक व गुरु होती है

locationनागौरPublished: Sep 12, 2021 09:38:36 pm

Submitted by:

Sharad Shukla

Nagaur. रामद्वारा केशवदास महाराज बगीची बख्तसागर में भागवत कथा प्रवचन करते हुए महंत जानकीदास ने भगवान श्री कृष्ण उद्धव के संवाद को परिभाषित करते हुए इसका मर्म समझाया।

Spirit is the guide and teacher

Nagaur. Mahant Jankidas delivering Bhagwat Katha at Ramdwara Keshavdas Maharaj Bagichi Bakhtsagar

नागौर. रामद्वारा केशवदास महाराज बगीची बख्तसागर में भागवत कथा प्रवचन करते हुए महंत जानकीदास ने भगवान श्री कृष्ण उद्धव के संवाद को परिभाषित करते हुए इसका मर्म समझाया। उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने उद्धव को आत्मज्ञान का उपदेश देते हुए कहा कि है उद्धव हमें आत्मा के गुणों का विकास करके मानवता की प्राप्ति करनी चाहिए। मनुष्य ईश्वर का रूप है। उसकी अंतरात्मा में समस्त ईश्वरीय संपदाओं के बीज वर्तमान है। इन सद्गुणों और देवी संपदाओं का अधिकाधिक विकास करना भारतीय जीवनचर्या का लक्ष्य रहा है। सत स्वभाव ही मनुष्य का रक्षक है। उसी से अच्छे समाज और अच्छे नागरिक का निर्माण होता है।अंतरात्मा में छुपे हुए सद्गुणों और दिव्यताओं को अधिकाधिक विकसित करना भारतीय जीवन चर्या का मूल मंत्र रहा है। शास्त्रों में कहा गया है समस्त तीर्थों में अंतर आत्मा ही परम तीर्थ है, और सारी पवित्रताओं में अंतर आत्मा की पवित्रता ही मुख्य है। आत्मा से समस्त प्राण ,समस्त देवगण और समस्त प्राणी मार्गदर्शन पाते हैं। सत्य बात तो यह है कि यह आत्मा ही उपदेशक व पथ प्रदर्शक है। इसलिए हमारा सबसे बड़ा गुरु हमारी अपनी आत्मा है। आत्मिक संतोष के साथ हुए कार्य ही सत्य होते हैं। अंतरात्मा की ओर से मना करने भी वही कार्य करना उचित नहीं होता है। शास्त्र भी ऐसा ही कहते हैं। इसलिए खुद की आत्मा को ही गुरु मान करके अपने जीवन के मार्ग पर आगे बढऩा चाहिए। इस अवसर पर धनराज रांकावत, मोहन लाल सांखला, सोहनलाल कच्छावा, दयाराम तेली, बाबूलाल सूरदास ,संत लक्ष्यानन्द आदि मौजूद थे।

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