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प्रदेश सरकार भूल गई पशु बीमा योजना

locationनागौरPublished: Jul 30, 2021 11:14:34 pm

Submitted by:

Sharad Shukla

Nagaur. पशु पालकों को नहीं मिल रहा पशु बीमा योजना का लाभ -तीन साल से बना हुआ है गतिरोध-गोवंश, भैसवंश सहित छोटे पशुओं पर मिलती थी बीमा राशि -पशु बीमा योजना से वंचित होने के कारण पालकों की स्थिति बिगड़ी -बीमा योजना का लाभ नही मिलने के कारण अन्य योजनाओं में इसका नही मिल पा रहा लाभ .प्रदेश के पशुपालको को मिला झटका, साल से बीमा नहीं भामशाह पशु बीमा योजना से सरकार व पशुपालन विभाग ने झाड़ा पल्ला, भामाशाह पशु बीमा योजना का एक साल से नहीं किया गया नवीनीकरण, न ही योजना को जारी रखने के दिए निर्देश

State government forgot animal insurance scheme

State government forgot animal insurance scheme

नागौर. सरकारी योजनाओं में सरकार पशुपालकों को भूल गई है। योजनाओं के तहत यूं आमजन को राहत के दावे करने वाली सरकार पिछले करीब तीन सालों से पशुपालकों को किसी भी प्रकार की बीमा योजना कोई लाभ नहीं दे रही। अब ऐसे हालात में पशुपालकों को ऋण सहित कई महत्वपूर्ण कार्यों में काफी मुश्किलें उठानी पड़ रही है। तकरीबन दो से तीन साल से पशुपालन विभाग ने योजना के तहत एक भी पालक के पशु का बीमा नहीं किया।
योजना का नवीनीकरण ही नहीं किया
भामाशाह पशु बीमा योजना से जुडऩे के इच्छुक प्रदेश के पशुपालकों को झटका लगा है। इसकी वजह से जिले के हजारों पशु पालकों के समक्ष परेशानी खड़ी हो गई है। योजना का वर्ष 2018-019 में राज्य सरकार ने न तो नवीनीकरण किया, और न ही विभाग को योजना को इसी रूप में आगे बढ़ाने के कोई दिशा-निर्देश जारी किए। नतीजतन योजना के तहत विभाग में आने वाले पालकों से अधिकारियों ने यह कहकर अपने हाथ खड़े कर लिए कि राज्य सरकार से कोई दिशा-निर्देश नहीं आया है। इसलिए योजना के तहत उनसे आवेदन नहीं भराए जा सकते हैं।

पशुपालन विभाग के अधिकारियों के अनुसार भामाशाह पशुपालन योजना वर्ष 2016-017 में शुरू हुई। इस दौरान पशुपालन विभाग की ओर से जोर-शोर से दावे किए गए। इससे काफी संख्या में पालक भी जुड़े। बाद में इनके दावों की हवा निकल गई। विभागीय जानकारी के अनुसार इसमें पहले साल ही नागौर में 1998 एवं दूसरे साल वर्ष 2017-018 में कुल 310 पशुओं का बीमा हुआ। पालकों को कुल बीमा राशि भी तकरीबन 16 लाख ही मिल पाई। इस तरह से प्रदेश में पहले साल पंद्रह हजार और दूसरे साल भी साढ़े सोलह हजार पशुओं के बीमा का लक्ष्य रखा गया था। लक्ष्य शतप्रतिशत तो कोई जिला नहीं प्राप्त कर पाया। पहले के लक्ष्य को ही पूरा कराने की कवायद में लगे अधिकारियों को प्रदेश में सत्ता बदलने के बाद झटका लगा। सरकार बदली तो योजनाओं को लेकर समीक्षा की घोषणाओं के बाद भी इस योजना को लेकर अब तक कोई दिशा-निर्देश भी नहीं आए।
बीमा नहीं तो, ऋण भी देने से बैंकों का इंकार
पशुपालन विभाग के बीमा योजना से हाथ खड़े कर लिए जाने के बाद अन्य बीमा कंपनियों ने भी पशुओं का बीमा करने से पल्ला झाडऩे लगी है। लिया। वर्तमान में पशुओं का बीमा करने के लिए कोई भी कंपनी तैयार नहीं हैं। पशुओं का बीमा नहीं होने के कारण ग्रामीण एवं राष्ट्रीयकृत स्तर तक के बैंकों ने भी पशुओं के लिए ऋण स्वीकृत करने से साफ इंकार कर दिया। पालकों का कहना है कि बैंक साफ कहते हें कि वह पशुओं की बीमा पालिसी होने की स्थिति में ही उनको ऋण दिया जा सकता है। अब ऐसे हालात में पशु पालकों को निजी स्तर पर मंहगी प्रीमियम दरों पर पशुओं का बीमा कराना पड़ रहा, तभी ऋण मिलता है। यह नहीं करने की स्थिति में उन्हें बैंकों से बैरंग लौटा दिया जाने लगा है।
सरकार पशुपालन को कर रही हतोत्साहित
भीवांराम, जगदीश, सुमेर आदि पालकों से बातचीत हुई तो सरकार को जमकर कोसा। इनका कहना है कि एक तरफ तो सरकार कहती है कि पशुपालन को प्रोत्साहित करना है, दूसरी तरफ सुविधाएं ही नहीं देती है। विभिन्न योजनाओं में लोगों को मुफ्त का राशन, साइकिलें एवं कम्प्यूटर तो मिल रहे, लेकिन हमको योजना का लाभ तक नहीं दिया जा रहा। स्पष्ट है कि सरकार केवल कहती है कि पशुपालन व दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन हकीकतन सरकार को तो पशु एवं इनके पालकों की कोई परवाह ही नहीं है।
इनका कहना है…
राज्य सरकार की ओर से भामाशाह पशु बीमा योजना के नवीनीकरण करने या फिर योजना को इसी स्थिति में जारी रखे जाने के संदर्भ में कोई दिशा-निर्देश नहीं मिलने के कारण पशुओं का बीमा नहीं किया जा रहा है। उच्चाधिकारियों से दिशा-निर्देश मिलने पर ही पालकों से इसके तहत योजना का लाभ दिया जा सकता है।
डॉ. जगदीश बरबड़, संयुक्त निदेशक, कार्यालय संयुक्त निदेशक पशुपालन नागौर

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