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समर्थन मूल्य बना स्पीड ब्रेकर

locationनागौरPublished: Oct 19, 2019 11:35:41 am

Submitted by:

Sandeep Pandey

15 करोड़ राजस्व वाली मण्डी की दो तिहाई घटी आय

New moong and cotton arrived in the Bilara Mandi

बिलाड़ा की मंडी में आ गया नया मूंग और कपास

राधेश्याम शर्मा

मेड़ता सिटी।
दलहन जिंस मूंग के लिहाज से सालाना 15 करोड़ राजस्व आय वाली प्रदेश की अग्रणी मेड़ता कृषि उपज मण्डी की दो साल में दो तिहाई आय घट गई है। मण्डी की आय कम होने का मुख्य कारण सरकार के काश्तकारों का मूंग समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने के चलते मण्डी में मूंग की आवक कम होना है। मण्डी की आय घटने का खामियाजा अब सुविधा के लिहाज से काश्तकारों को भी उठाना पड़ रहा है।

खरीफ फसल की दलहन जिंस मूंग की मेड़ता क्षेत्र में सर्वाधिक बुवाई होती है। मेड़ता का मूंग प्रदेश के जयपुर सहित दिल्ली के व्यापारियों की पहली पसंद है। मेड़ता के मूंग से बना मोगर, दाल गुणवत्ता के लिहाज से श्रेष्ठ होने के कारण अधिकांश दाल-मिलों में मेड़ता से गए मूंग का ही उपयोग होता है। परंतु पिछले वर्षो से मण्डी में मूंग की आवक घटने से सालाना 15 करोड़ आय वाली मण्डी का राजस्व घटकर 5 से 6 करोड़ पहुंच गया है। दरअसल मण्डी की दो तिहाई राजस्व आय घटने का कारण समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीद है।

व्यापारियों की घटी आय
समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू होने से काश्तकारों को तो फायदा मिला है। परंतु मण्डी समिति की का राजस्व घटने के साथ ही साथ व्यापारियों की आड़त आय भी घटी है। जिस कारण व्यापारियों की इन दिनों मूंग खरीद में रुचि भी नहीं दिख रही है।

दिल्ली में खुलते है मूंग के भाव
जिले की विशिष्ठ ‘ए श्रेणी की मेड़ता कृषि उपज मण्डी के मंूग की दिल्ली मण्डी में विशेष पहचान है। यहां तक की दिल्ली की दलहन मण्डी में मेड़ता मण्डी की आवक-बिकवाली के हिसाब से ही खरीद-फरोख्त के भाव खुलते है। मेड़ता मण्डी में नागौर सहित पड़ोसी जिले अजमेर, पाली, जोधपुर जिलों से भी मंूग की आवक होती है।

एक नजर में मण्डी की आवक
वर्ष आय

2014-15 405354
2015-16 524735

2016-17 826576
2017-18 456995

2018-19 411621
2019-20 160377

(18 अक्टूबर तक)
(आय:- क्विंटल में)

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