सरपंच बोले - कोविड सहायकों को देखा तक नहीं
सरपंच संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि कोरोना काल में ग्राम पंचायतों में टीकाकरण, सर्वे समेत अन्य कार्यों में स्वास्थ्य विभाग कार्मिकों का सहयोग करने के लिए कोविड सहायकों की नियुक्ति की गई थी। सरकार ने सरपंचों की बिना राय लिए इनको नियुक्ति दे दी और अब राज्य सरकार इनके मानदेय का भुगतान करने के लिए सरपंचों को बाध्य कर रही है जो कि तर्कसंगत नहीं है। कई ग्राम पंचायतों व अस्पतालों में कोविड सहायकों ने किसी प्रकार का कार्य नहीं किया और न ही वे उपस्थित हो रहे हैं, उनको कभी फील्ड में देखा तक नहीं है। इसके बावजूद उनकी उपस्थिति देकर मानदेय देने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
सरपंच संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि कोरोना काल में ग्राम पंचायतों में टीकाकरण, सर्वे समेत अन्य कार्यों में स्वास्थ्य विभाग कार्मिकों का सहयोग करने के लिए कोविड सहायकों की नियुक्ति की गई थी। सरकार ने सरपंचों की बिना राय लिए इनको नियुक्ति दे दी और अब राज्य सरकार इनके मानदेय का भुगतान करने के लिए सरपंचों को बाध्य कर रही है जो कि तर्कसंगत नहीं है। कई ग्राम पंचायतों व अस्पतालों में कोविड सहायकों ने किसी प्रकार का कार्य नहीं किया और न ही वे उपस्थित हो रहे हैं, उनको कभी फील्ड में देखा तक नहीं है। इसके बावजूद उनकी उपस्थिति देकर मानदेय देने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
पर्याप्त नहीं मौजूदा बजट
सरपंचों ने कहा कि ग्राम पंचायत में राज्य वित्त आयोग (एसएफसी) मद में पंचायत सहायकों, जनता जल योजना के बिजली बिल, जनता जल योजना पंप संचालकों के बिल समेत अन्य कई भुगतान किए जा रहे हैं। राज्य वित्त आयोग में ग्राम पंचायतों को सीमित राशि मिलती है जो कि इनके मानदेय व बिलों के भुगतान में ही खर्च हो जाती है। ऐसे में ग्राम पंचायतों में पानी, स्वच्छता जैसे मूलभूत आवश्यकताओं के कार्य पूरे नहीं हो पाते हैं। इस राशि का अन्य कार्यों में उपयोग ग्राम पंचायतों व सरपंचों के हितों के साथ कुठाराघात है।
सरपंचों ने कहा कि ग्राम पंचायत में राज्य वित्त आयोग (एसएफसी) मद में पंचायत सहायकों, जनता जल योजना के बिजली बिल, जनता जल योजना पंप संचालकों के बिल समेत अन्य कई भुगतान किए जा रहे हैं। राज्य वित्त आयोग में ग्राम पंचायतों को सीमित राशि मिलती है जो कि इनके मानदेय व बिलों के भुगतान में ही खर्च हो जाती है। ऐसे में ग्राम पंचायतों में पानी, स्वच्छता जैसे मूलभूत आवश्यकताओं के कार्य पूरे नहीं हो पाते हैं। इस राशि का अन्य कार्यों में उपयोग ग्राम पंचायतों व सरपंचों के हितों के साथ कुठाराघात है।
जिला परिषद या पंचायत समिति दे बजट
सरपंचों ने मांग की कि जिला परिषद व पंचायत समितियों में भी एसएफसी मद में बजट रहता है, इसके बावजूद अधिकारी ग्राम पंचायतों को इस मद की राशि का उपयोग करने के लिए बाध्य कर रहे हैं जो कि बिल्कुल तर्कसंगत नहीं है। जिला परिषद व पंचायत समितियों में उपलब्ध बजट से इनका भुगतान किया जा सकता है, लेकिन अधिकारी ऐसा नहीं करके ग्राम पंचायतों पर इस मद से भुगतान करने का दबाव बना रहे हैं।
सरपंचों ने मांग की कि जिला परिषद व पंचायत समितियों में भी एसएफसी मद में बजट रहता है, इसके बावजूद अधिकारी ग्राम पंचायतों को इस मद की राशि का उपयोग करने के लिए बाध्य कर रहे हैं जो कि बिल्कुल तर्कसंगत नहीं है। जिला परिषद व पंचायत समितियों में उपलब्ध बजट से इनका भुगतान किया जा सकता है, लेकिन अधिकारी ऐसा नहीं करके ग्राम पंचायतों पर इस मद से भुगतान करने का दबाव बना रहे हैं।
चिकित्सा विभाग करे भुगतान
सरपंच संघ ने कोविड सहायकों के मानदेय का भुगतान चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग से करवाने की मांग की है। यदि ऐसा नहीं होता है तो सरपंच संघ प्रदेश व जिला स्तर पर आंदोलन का रास्ता अपनाएगा। इस दौरान अलखपुरा सरपंच व मौलासर ब्लॉक अध्यक्ष श्रवण राम बिजारणिया, मांगलोद सरपंच व जायल ब्लॉक अध्यक्ष महिपाल थालोड़, चाऊ सरपंच व जिला प्रवक्ता सुरेश चारण, भूण्डेल सरपंच व जिला महामंत्री धर्मेन्द्र गौड़, खिंयाला सरपंच बेणीगोपाल रतावा, इंदौखा सरपंच विक्रम मातवा समेत अन्य उपस्थित रहे।
सरपंच संघ ने कोविड सहायकों के मानदेय का भुगतान चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग से करवाने की मांग की है। यदि ऐसा नहीं होता है तो सरपंच संघ प्रदेश व जिला स्तर पर आंदोलन का रास्ता अपनाएगा। इस दौरान अलखपुरा सरपंच व मौलासर ब्लॉक अध्यक्ष श्रवण राम बिजारणिया, मांगलोद सरपंच व जायल ब्लॉक अध्यक्ष महिपाल थालोड़, चाऊ सरपंच व जिला प्रवक्ता सुरेश चारण, भूण्डेल सरपंच व जिला महामंत्री धर्मेन्द्र गौड़, खिंयाला सरपंच बेणीगोपाल रतावा, इंदौखा सरपंच विक्रम मातवा समेत अन्य उपस्थित रहे।
नियुक्ति के बाद एक बार भी नहीं मिला मानदेय
जिले में करीब 1575 सीएचए और 9 कोविड हैल्थ कंसलटेंट मई-जून, 2021 में लगाए गए थे। इनमें सैकड़ों सीएचए ऐसे हैं, जिन्हें पिछले नौ महीने में एक बार भी भुगतान नहीं मिला है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिले के सभी सीएचए आज तक का भुगतान करने के लिए करीब 10 करोड़ की आश्यकता है।
जिले में करीब 1575 सीएचए और 9 कोविड हैल्थ कंसलटेंट मई-जून, 2021 में लगाए गए थे। इनमें सैकड़ों सीएचए ऐसे हैं, जिन्हें पिछले नौ महीने में एक बार भी भुगतान नहीं मिला है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिले के सभी सीएचए आज तक का भुगतान करने के लिए करीब 10 करोड़ की आश्यकता है।
तीन दिन में करना था भुगतान, तीन महीने होने को आए
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के निदेशक डॉ. घनश्याम ने 2 दिसबर 2021 को प्रदेश की सभी जिला परिषदों के मुय कार्यकारी अधिकारियों एवं अतिरिक्त मुय कार्यकारी अधिकारियों को निर्देश जारी तीन दिन में भुगतान करने के लिए कहा था, लेकिन आज भी सीएचए को मानदेय नहीं मिला।
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के निदेशक डॉ. घनश्याम ने 2 दिसबर 2021 को प्रदेश की सभी जिला परिषदों के मुय कार्यकारी अधिकारियों एवं अतिरिक्त मुय कार्यकारी अधिकारियों को निर्देश जारी तीन दिन में भुगतान करने के लिए कहा था, लेकिन आज भी सीएचए को मानदेय नहीं मिला।