मनोरोगी इलाज के लिए स्याणे-भोपा की ले रहे शरण नागौर जेएलएन में ओपीडी घटकर रह गई सिर्फ पांच फीसदी
नागौरPublished: Feb 23, 2023 09:27:32 pm
-मनोचिकित्सक की जरुरत पर नहीं ध्यान, कुचामन-डीडवाना को छोडक़र अन्य इलाकों के मानसिक बीमार जा रहे हैं दूरदराज, गरीब/अनपढ़ अब भी बजाय अस्पताल के भगवान के दरबार या फिर तांत्रिकों तक पहले पहुंच रहे


मानसिक रोगी भूले-भटके ही नागौर के जेएलएन अस्पताल आ रहे हैं। कभी महीने में करीब सात-आठ सौ की ओपीडी अब महज 30-35 रह गई है। मानसिक बीमार अब यहां आकर करें भी तो क्या, करीब डेढ़ साल से मनोचिकित्सक है ही नहीं, नर्स पर ही इन रोगियों के उपचार का दारोमदार है।
पत्रिका न्यूज नेटवर्क नागौर. मानसिक रोगी भूले-भटके ही नागौर के जेएलएन अस्पताल आ रहे हैं। कभी महीने में करीब सात-आठ सौ की ओपीडी अब महज 30-35 रह गई है। मानसिक बीमार अब यहां आकर करें भी तो क्या, करीब डेढ़ साल से मनोचिकित्सक है ही नहीं, नर्स पर ही इन रोगियों के उपचार का दारोमदार है।