झूठे शपथ पत्र से दिया ऋण
शिकायत लेकर पहुंचे ग्रामीण नेमाराम धुंधवाल ने बताया कि व्यवस्थापक व अध्यक्ष ने मिलकर फसली ऋण माफी-2018 में बड़े स्तर पर सरकारी राशि का गबन किया। व्यवस्थापक ने अपने रिश्तेदारों को रेवडिय़ां बांटते हुए जमीन साख के नियम कायदों को एक तरफ रखकर फर्जी ऋण वितरण कर गरीबों का हक मार लिया। सरकार ने सरकारी कर्मचारियों का ऋण माफ नहीं किया था लेकिन यहां के व्यवस्थापक ने सरकारी कर्मचारियों के नाम से कर्मचारी ना होने के झूठे शपथ-पत्र लगाकर ऋण बांट दिए। एक ही वर्ष में दो-दो बार ऋण माफी का लाभ दिया गया। ज्ञात हो कि रायधनू समेत जिले के अन्य गांवों में भी भ्रष्टाचार व गबन के आरोपों के बाद जांच की जानी है। इस दौरान व्यवस्थापक व शिकायतकर्ताओं के बीच झड़प भी हुई।