दस साल बाद फैसला, चौदह पट्टे निरस्त
नागौरPublished: Oct 01, 2016 11:16:00 pm
कस्बे में वर्ष 2000 से 2004 के मध्य तत्कालीन सरपंच एवं ग्राम सेवक द्वारा जारी सौलह लोगों को फर्जी पट्टे दिए जाने को लेकर हाईकोर्ट की फाइल आखिरकर एडीएम डीडवाना छगनलाल गोयल के सामने खुल ही गई।
फाइल खुलते ही एडीएम ने पट्टों में जांच पड़ताल के बाद चौदह पट्टे निरस्त कर दिए वहीं दो को विचाराधीन रखा गया है। जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत बडू में वर्ष 2004 में हुआ फर्जी पट्टा प्रकरण हुआ। जहां ग्राम सेवक और सरपंच ने मिलकर उस समय सौलह पट्टे बनाए जो गोचर भूमि में बना दिए थे। इस संदर्भ में कई बार ग्रामीण जिला कलक्टर और डीडवाना एडीएम से भी मिले थे। जानकारी के अनुसार वर्ष 2004 में ग्राम पंचायत बडू ने सौलह लोगों को गोचर व अन्य स्थानों पर पट्टे जारी कर दिए थे। ग्राम के पांचूराम काला ने सन 2007 में रिट दायर की थी हाई कोर्ट ने प्रशासन को उस समय तीन साल में हुई कार्यवाही चाही थी जिस पर प्रशासन ने हाईकोर्ट से जबाब में कहा था कि स्टे के कारण कुछ भी नहीं हो पाया है। इस बीच तत्कालीन विकास अधिकारी डॉ. राजकुमार गुप्ता ने फर्जी पट्टा प्रकरण की जांच के बाद एक जनवरी 2006 को एक पत्र भेजकर चाहा था कि बडू ग्राम पंचायत के ग्राम सेवक भंवरलाल विश्रोई ने राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 91 के अन्र्तगत अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रस्तावित करने के लिए 16 सीसी का नोटिस जारी करने की अनुशंसा की, लेकिन जिला प्रशासन ने कोई कार्यवाही अमल में नही ली। उक्त ग्राम सेवक पिछले दिनों मकराना के बील्लू ग्राम पंचायत में ग्राम सेवक के पद से पदोन्नत होकर पंचायत प्रसार अधिकारी पंचायत समिति मौलासर के पद पर बने हुए हैं।
नहीं कर सके थे एडीएम और बीडीओ कार्यवाही
फर्जी पट्टा प्रकरण की शिकायत के बाद नौ साल में फाइल एडीएम डीडवाना के दफ्तर में दबी पड़ी रही। वहीं परबतसर पंचायत समिति के विकास अधिकारी ने कोई कार्यवाही नहीं की जबकि तत्कालीन जिला कलक्टर गायत्री एस. राठौड़ ने विकास अधिकारी डॉ.राजकुमार गुप्ता को निर्देशित किया था। अब शिकायत के आधार पर डीडवाना एडीएम छगनलाल गोयल ने पंचायत समिति परबतसर से पट्टो की रिपोर्ट मंगवा कर बारिकी से जांच की और सभी चौदह पट़टे निरस्त कर दिए साथ ही दो पट्टो की पत्रावलियां जिनमें घनश्याम एवं बालूराम गुर्जर अवलोकन के लिए अभी एडीएम के यहां विचाराधीन है।