सूत्रों के अनुसार दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ की शुक्रवार को हुई बैठक में यह मुद्दा प्रमुखता से उठा। वो इसलिए भी उठाया गया कि इस घपले के चलते दुग्ध उत्पादकों का करीब साढ़े चार-पांच करोड़ बकाया चल रहा है। हालांकि कुछ समय से दुग्ध का भुगतान तय समय पर हो रहा है पर पिछला बकाया पूरा हो पाना असंभव हो गया है
सहकारी संघ के चेयरमैन जीवणराम धायल और एमडी श्रीमती प्रमोद चारण की देखरेख में आमसभा हुई। इसमें पहले बजट पारित किया गया, इसके बाद अंकेक्षक की नियुक्ति हुई। उसके बाद उत्पादकों के बकाया का मुद्दा उठा तो ठेकेदारों के उच्च न्यायालय जोधपुर में चल रहे मामले की प्रगति पर भी असंतोष जताया गया। आमसभा में आए सदस्यों ने जल्द से जल्द भुगतान की मांग की तो डेयरी प्रबंधन ने ठेकेदारों के बकाया का जिक्र करते हुए हाईकोर्ट में चल रहे मामले का कारण बता दिया। बाद में हाईकोर्ट डबल बैंच अथवा कॉमर्शिलय कोर्ट में मामला ले जाने की सहमति बन गई।
फिर नया मोड़मामले को चलते नौ महीने बीत चुके हैं, नित नए मोड़ ने मामले को उलझाकर रख दिया। अभी 28 जून को ही पत्रिका ने इस संदर्भ में Òसांच पर आंच भारी, जांच का खेल जारीÓ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी, जिसमें मामले के बदलते मोड़ों का जिक्र किया। पहले परिवाद, फिर मामला दर्ज करने के लिए डेयरी ने हाईकोर्ट जोधपुर की शरण ली, मामला दर्ज हुआ तो जांच तेज करने के लिए फिर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जांच बदली, इससे पहले ठेकेदारों के चेक बाउंस होने के साथ एक मामला और दर्ज कराया। इधर, ठेकेदारों ने गिरफ्तारी पर रोक का आदेश अदालत से ले लिया। यही नहीं इससे पहले आरसीडीएफ की दो बार हुई जांच के बाद तो मामला दर्ज कराना तय किया गया। मामला यहीं नहीं रुका, दो अफसर निलम्बन पर एमडी के खिलाफ हाईकोर्ट चले गए। इस पर सुनवाई आठ दिन बाद होगी। पुलिस कह रही है कि गिरफ्तारी पर रोक है, इसलिए जांच धीमी चल रही है। इधर, सहकारी समितियां, अजमेर से एक जांच और बैठ गई। अभी यह जांच चलते-चलते बीस दिन भी नहीं हुए कि मामले को कॉमर्शियल कोर्ट ले जाने की सहमति बन गई।
इन पर है मामला दर्ज गत 11 नवंबर को कोतवाली में दर्ज इस मामले में ठेकेदार रामचंद्र चौधरी, लीला ट्रेडर्स के मालाराम, विजय चौघरी, रामनिवास चौधरी और राजूराम पर यह बकाया है। कहा तो यह गया कि इन्हें बार-बार नोटिस दिए गए, लेकिन बकाया जमा नहीं कराया गया। इससे इतर इस पर भी सवाल उठे कि जब दुग्ध परिवहन की गाड़ी को एक-दो दिन से अधिक उधार देने का नियम ही नहीं तो यह क्यों इतना हो गया। एक संविदा कर्मी अनिल भी इनके साथ नामजद है।