पत्रिका पड़ताल में सामने आया कि महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से बच्चों, किशोरियों एवं धात्री-गर्भवती महिलाओं को हर महीने दिया जाने वाले पूरक पोषाहार की सप्लाई के लिए नेफेड को जिम्मेदारी दी है। नेफेड ने गेहूं, चावल व दाल की सप्लाई का ठेका प्राइवेट कम्पनी को दिया है, जो समय पर सप्लाई नहीं कर पा रहा है, इसके बावजूद विभाग उस पर मेहरबान है। जबकि इसका खमियाजा पात्रों को भुगतना पड़ रहा है। उन्हें छह-छह माह बाद भी दाल नहीं मिल रही है। खास बात यह है कि राजस्थान राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम नागौर के मैनेजर ने ठेकेदार के खिलाफ दो--तीन पत्र भी लिख दिए हैं, इसके बावजूद मेहरबानी बनी हुई है।
पोषाहार वितरण पर एक नजर तिमाही - गेहूं - चावल - दाल जुलाई-सितम्बर - 100 - 100 - 100 अक्टूबर-दिसम्बर - 100 - 100 - 75 जनवरी-मार्च - 18 - 18 - 0
- नोट - पोषाहार वितरण के आंकड़े प्रतिशत में। जिले के आंगनबाड़ी केन्द्र और उनका नामांकन जिले में कुल आंगनबाड़ी केन्द्र - 2873 0-3 वर्ष तक के बच्चे - 64625
3-6 वर्ष के बच्चे - 37030 किशोरी बालिका - 764 गर्भवती/धात्री - 20671 कुल - 123090 सरकार ने कोरोना काल में शुरू की थी दाल की सप्लाई गौरतलब है कि सरकार ने कोरोना काल में आंगनबाड़ी केन्द्र बंद होने पर पात्रों को घर पर सूखा पोषाहार पहुंचाने के लिए गेहूं, चावल व दाल की सप्लाई शुरू की थी। इसके तहत 6 माह से 6 वर्ष तक के बच्चों को सवा किलो गेहूं, सवा किलो चावल तथा 2 किलो चना दाल दी जा रही है। इसी प्रकार किशोरी बालिकाओं व गर्भवती-धात्री महिलाओं को डेढ़-डेढ़ किलो गेहूं-चावल तथा 3 किलो चना दाल दी जा रही है। जबकि 6 माह से 6 वर्ष तक के अति कुपोषित बच्चों को 2 किलो गेहूं, डेढ़ किलो चावल तथा 3 किलो चना दाल दी जा रही है।
विधानसभा में उठा था ठेकेदार प्रथा का मुद्दा, फिर भी सुधार नहीं आंगनबाड़ी केन्द्रों पर समय पर पोषाहार नहीं पहुंचने के कारण बाद में कागजों में पूर्ति कर दी जाती है। ठेकेदार द्वारा की जा रही लेटलतीफी एवं वितरण में भ्रष्टाचार को लेकर गत माह बजट सत्र के दौरान मकराना विधायक रूपाराम मुरावतिया ने मामला उठाते हुए पोषाहार वितरण का कार्य करने वाले ठेकेदार का नाम पूछा था। विधायक ने कहा कि पोषाहार वितरण की व्यवस्था ठेके पर दी हुई है। इसी ठेकेदारी प्रथा के चलते पहले बहुत बड़ा घोटाला हुआ था। विधायक के बार-बार पूछने पर भी मंत्री ममता भूपेश ने ठेकेदार का नाम लेने की बजाए नेफेड व एफसीआई द्वारा पोषाहर वितरण करने की बात कही थी। इसके बाद जब अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि कोई ठेकेदार है या नहीं है, इसका जवाब दे दें। तब मंत्री ने कहा कि हमारे विभाग द्वारा गेहूं, चावल, दाल तीनों चीजें क्रय करके नेफेड से भारतीय खाद्य निगम को दी जाती है और आगे सप्लाई करने का कार्य हमने ठेकेदार को दे रखा है, अब उनके कौन हैं आगे नीचे, वो किससे करवा रहे हैं, यह जिम्मेदारी खाद्य विभाग की है। अध्यक्ष ने फिर कहा - मंत्री जी, उनकी रेस्पॉसिबिलिटी है? मंत्रालय की भी तो कोई जिम्मेदारी होगी कि वह नीचे जाकर देखें कि बंट रहा है या नहीं बंट रहा है, उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी? इस पर मंत्री ने जांच कराने की बात कही, लेकिन एक माह बाद भी सप्लाई में कोई सुधार नहीं है।
गेहूं-चावल की सप्लाई कर चुके अक्टूबर से दिसम्बर तक की दाल 90 प्रतिशत दाल हमारे पास आई हे, जिसमें से करीब 80 प्रतिशत सप्लाई हुई है, जबकि जनवरी से मार्च तक की दाल सप्लाई अभी बिल्कुल नहीं हुई है। सप्लाई में देरी होने का एक कारण तो विभाग द्वारा आवंटन देरी से किया जा रहा है। दूसरा, मिल वाला भी दाल की सप्लाई समय पर नहीं कर पा रहा है, जिसको लेकर हमने उसका टेंडर निरस्त करने के लिए विभाग को दो-तीन बार लिख दिया है।
- सुनील शर्मा, मैनेजर, राजस्थान राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम, नागौर