scriptरंग लाई आरबीएसके टीम की मेहनत | The color of the RBS team's hard work | Patrika News

रंग लाई आरबीएसके टीम की मेहनत

locationनागौरPublished: Feb 09, 2018 06:50:42 pm

Submitted by:

Dharmendra gaur

जन्मजात मोतियाबिन्द से मिला छुटकारा, कमल की एक आंख को मिली रोशनी

Parbatsar news

परबतसर के ग्राम भकरी के कमल किशोर को मिली आंखों की रोशनी।

परबतसर. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके)के चिकित्सकों की मेहनत से सातवीं कक्षा के छात्र की एक आंख के जन्मजात मोतियाबिन्द का इलाज सफल ऑपरेशन से करने के साथ ही उसकी आंखों का भेंगापन भी ठीक हो गया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत केन्द्र सरकार की ओर से संचालित राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम से ग्राम भकरी के एक 11 वर्षीय बालक को आंखों को रोशनी मिली और वह संसार को अपनी नजरों से देखने में कामयाब हुआ। सरकारी प्राथमिक विद्यालयों एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों में अध्ययनरत गंभीर बीमारियों से ग्रसित बच्चों के इलाज के लिए विशेष सहायता के तहत ही राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम से लाभान्वित हुए बालक की आंखों को जन्मजात मोतियाबिंद से छुटकारा मिला।
जानकारी के अनुसार परबतसर में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम मोबाइल हैल्थ टीम ए के सदस्यों डॉ. मनीष घारू, डॉ. सीमा चौधरी, एवं जीएनएम पुष्पा शर्मा की टीम ने ग्राम भकरी की राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के कक्षा 7 में अध्ययनरत 11 वर्र्षीय छात्र कमल किशोर पुत्र श्रवणराम माली को जांच के दौरान दांईआंख में जन्मजात मोतियाबिंद पाया गया। उसे आरबीएसके टीमने चिन्हित कर इलाज के लिए हायर सेंटर नागौर रेफर किया गया। छात्र को बाद में जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय अजमेर के लिए रेफर किया गया। जहां छात्र के मोतियाबिंद का सफल ऑपरेशन किया गया। आरबीएसके टीम के सदस्यों ने ऑपरेशन के बाद फालोअप करते हुए उसकी पुन: जांच की। इसमें पाया गया कि कमल आंख से सही देख रहा है। साथ ही छात्र के आंख की ज्योति एवं आंख में तिरछापन समाप्त हो गया है। इससे छात्र को पढने लिखने में किसी प्रकार की कोई परेशानी नही हो रही है। गौरतलब है कि छात्र कमलकिशोर के परिजनों की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वे लोग इसका इलाज कराने में सक्षम नही थे। कमल के पिता अपने गांव में चाय व मिठाई की दुकान करते है। जिनसे वे अपने परिवार का लालन पालन करते है।
डॉ. मनीष घारू ने बताया कि इस विद्यालय में 313 छात्र-छात्राओं का परीक्षण किया गया था जिसमें से 22 विद्यार्थियों को अन्य बीमारियों के लिए रेफर किया गया था। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत बच्चों के दिमाग, ह्दय, हाथ-पैरो के टेढे-मेढे होने, लकवाग्रस्त होने, मानसिक रूप से कमजोर एवं आंखों से कम दिखने वाली गंभीर बीमारियों से ग्रस्त बच्चों के इलाज निशुल्क किए जाते हैं। स्कूली बच्चो को आरबीएसके टीम के स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान चिन्हित कर रेफर किया जाता है।

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