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शहर के रीको एरिया में प्रवेश करने पर विवेकानंद मॉडल स्कूल एवं केन्द्रीय विद्यालय की ओर जाने पर महज थोड़ी ही दूरी पर कचरा यार्ड नजर आ जाता है। स्थिति यह है कि यह कचरा यार्ड शिक्षण संस्थानों में मुख्य रूप से विवेकानंद स्कूल के लगभग ठीक सामने पड़ जाता है। स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि विद्यालय के अंदर प्रवेश करने के बाद भी कचरे से उठती दुर्गन्ध पीछा नहीं छोड़ती है। मॉडल स्कूल से इसकी दूरी महज 25-30 मीटर की दूरी पड़ती है। वर्तमान में यहां पर एकत्रित हो चुके लाखों टन कचरे के कारण न केवल इस पूरे मार्ग के आधा किलोमीटर एरिया में दुर्गन्ध बनी रहती है, बल्कि इसकी वजह से अक्सर स्कूल में पढऩे के दौरान बच्चे भी उल्टी करने लग जाते हैं। विद्यालय प्रशासन की माने तो इसी कचरे के कारण पूरे क्षेत्र में विषैले मच्छरों की अधिकता होने के कारण आए दिन अब बच्चों की सेहत बिगडऩे लगी है।
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पशुओं का रहता है जमावड़ा
अषोषित रूप से बने कचरा यार्ड में हर समय लावारिश पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है। जैविक रूप से इसमें कचरे में कई प्रकार के जहरीले माने-जाने वाले तत्वों का सेवन भी यह पशु कर लेते हैं। इसके साथ ही इस कचरे को इधर से उधर फैलाने का काम भी पशुओं की ओर से किया जाता है। इसकी वजह से यह कचरा कई जगहों पर फैल जाता है। ऐसे में पशुओ की जिंदगी व सेहत न केवल खतरे में रहती है, बल्कि इसके फैलने से जैविक बीमारियों का भी संंकट बढ़ जाता है।
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बच्चों के साथ जमीन व पानी की सेहत भी कर रहा खराब
विशेषज्ञों का कहना है कि डंपिंग यार्ड के आसपास के इलाकों में भू-जल बुरी तरह से प्रदूषित हो जाता है। इस वजह से इन इलाकों में संक्रामक बीमारियों के फैलने की आशंका हमेशा बनी रहती है। कचरे की वजह आसपास की हर चीज जहरीली होने लगती है। वैज्ञानिक शोधों से स्पष्ट है कि कचरा यार्ड होने से पानी और हवा तक में जहर घुल जाता है। शोधों में ऐसे कई स्थानों की जांच में भी पाया गया कि पानी के प्रदूषण का स्तर बहुत भयावह स्थिति में पहुंच जाता है। पानी में खतरनाक स्तर पर सल्फेट, नाइट्रेट, कैल्शियम, मैगनीशियम पाए गए हैं। डंपिंग यार्ड के आसपास के इलाकों का पानी कठोर जल में तब्दील हो जाता है। इसे किसी भी सूरत में पीया नहीं जा सकता। इस पानी को नहाने-धोने के लिए इस्तेमाल में लाने पर त्वचा संबंधी रोगों से ग्रसित होने की आशंकाएं बढ़ जाती है। प्रदूषित पानी के उपयोग की वजह से इन इलाकों के लोगों को आंत संबंधी बीमारियों से लगातार जूझना पड़ता है। कई बार शरीर में निर्जलीकरण की समस्या से लोगों की हालत खराब हो जाती है।
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इनका कहना है...
शिक्षण संस्थानों के नजदीक कचरा यार्ड होने की जानकारी नहीं है। इसे नगरपरिषद की टीम भेजकर देखवा लिया जाएगा। जांच के बाद यथायोग्य आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। बच्चों व पर्यावरण की सेहत से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
मीतू बोथरा, सभापति नगरपरिषद नागौर
मॉडल स्कूल के ठीक सामने बड़े मैदान में लाखों टन कचरा पड़ा हुआ है। पूरे शहर का कचरा यहीं डाला जा रहा है। इस संबंध में नगरपरिषद व प्रशासन से लिखित में भी अनुरोध किया जा चुका है। इसके कारण बच्चों की सेहत खराब होने के संदर्भ में जिम्मेदारों को अवगत कराया जा चुका है।
प्रमिला यादव, संस्था प्रधान, विवेकानंद राजकीय मॉडल स्कूल नागौर