scriptविख्यात संतो के दर्शनों का लाभ भक्तों को मिला | The devotees got the benefit of the famous saints | Patrika News

विख्यात संतो के दर्शनों का लाभ भक्तों को मिला

locationनागौरPublished: Jan 03, 2018 07:42:39 pm

Submitted by:

Dharmendra gaur

जसनगर. सातवें दिन भागवत कथा में भक्ति की चुन्दड़ी के धार्मिक भजन पर भक्तों ने धर्ममय वातारण में नाचते हुए भक्ति से सराबोर नजर आये।

Jasnagar

जसनगर में बनाड़ (जोधपुर) के संत हीरादास महाराज के भजनों पर नाचते भक्तगण।

प्रथम बार हुआ ऐसा आयोजन
जसनगर. सातवें दिन भागवत कथा में भक्ति की चुन्दड़ी के धार्मिक भजन पर भक्तों ने धर्ममय वातारण में नाचते हुए भक्ति से सराबोर नजर आये। बनाड़ (जोधपुर) आश्रम से आए संत हीरादास महाराज ने कहा कि इस कलयुग में मनुष्य को अपने अंतर मन में परमात्मा के नाम की जोत का दीप प्रज्जवलित करके अपनी भक्ति की शुरूआत करे। आतंरिक मन से भक्ति का रास्ता ही आराधना की वो सीढी है,जिसके बल पर मनुष्य का कल्याण सभंव है। संत हीरादास महाराज ने थारी चुन्दड़ी रा लागा चटका, दिन चार…व पुरानी पड़ गई सा थारी चुन्दड़ली रे …भजन के भाव से लालायित होकर कथा में उपस्थित सभी महिलाओं ने नृत्य करके भक्ति की तन्मयता का परिचय दिया। आधे घ्ंाटे तक चले इस धार्मिक भजन से कथा स्थल, सात हजार फीट दूरी से गुजरने वाले मेड़ता-रास फोर लाईन से छोटे, बड़े वाहन चालकों, यात्रियों राहगीरों ने रूककर तालियों गडग़ड़ाहट से भक्तिमय वातावरण में अपनी उपस्थित देते नजर आये।
देवरीधाम के संत का भक्तों ने किया स्वागत
रतकुडिय़ा (जोधपुर जिला) गांव की पहाड़ी पर स्थित देवरीधाम के लोकसंत सद्गुरू भोलाराम महाराज के उतराधिकारी युवाचार्य संत रामदास शास्त्री का बुधवार को जसनगर की भागवत कथा में आने पर सैकड़ों भक्तों में वंदन करने के लिए बच्चें, युवा,युवतियों, महिला, पुरूषों में होड मची। युवाचार्य संत रामदास शास्त्री ने कहा कि मनुष्य जन्म से नही बल्कि अपने कर्म से महान बनता है। अपने माता-पिता व गौ सेवा से बड़ा इस संसार कोई धर्म नही है। गौ माता में 33 करोड़ देवी देवता विराजित है। इन देवताओं की कृपा लेने के लिए कहीं भटकने की आवश्यकता नही है। केवल मात्र अपने सच्चे मन से अपनी कमाई का श्रद्धा के अनुसार गौ माता के लिए दान करके और दूसरे से दान कराने में अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी का निर्वाह करे। ऐसे कार्य करने से कुछ समय में ही भक्त व उसके परिवार की दिनचर्या स्वत: ही ईश्वर की कृपा से धर्ममय जीवन में बदल जाती है। आवश्यकता है,तो केवल भटके हुए मनुष्य को आत्मा की शांति व मोक्ष प्राप्ति के लिए सही रास्ता चुनने की। संत आत्माराम महाराज ने नानीबाई मायरों व श्री मद् भागवत कथा के प्रसंगों पर प्रवचन दिया।

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