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नागौर

हथियार के साथ सम्मान मिलने का ख्वाब अधूरा

एक्सक्लूसिवसंदीप पाण्डेय
नागौर. गैंगस्टर आनंदपाल एनकाउण्टर के करीब चार बरस बाद भी पुलिस अफसरों के हथियार के साथ प्रशंसा-पत्र लेकर सम्मानित होने का ख्वाब पूरा नहीं हो पाया। इसके लिए जिले के करीब एक दर्जन अफसरों का एक प्रस्ताव भेजा गया था। इन अफसरों में एसपी, डीडवाना एएसपी, कुचामन-डीडवाना सीओ भी शामिल किए गए थे।

नागौरJun 19, 2021 / 11:16 pm

Ravindra Mishra

-आनंदपाल की फरारी के दौरान और एनकाउण्टर के बाद सांवराद में उपजे तनाव को करने वाली नागौर पुलिस ने बहुत कुछ खोया, इसके बाद भी 90 पुलिसकर्मियों में एक भी शामिल नहीं
-करीब एक दर्जन अफसरों को सम्मानित करने का प्रस्ताव भी ठण्डे बस्ते में
-केवल एनकाउण्टर करने वालों को सारा क्रेडिट देने से नागौर जिला पुलिस नाराज


सूत्रों के अनुसार सितंबर 2015 में आनंदपाल फरार हुआ था। इसका एनकाउण्टर करीब 22 महीने बाद 24 जून 2017 को हुआ। इसके बाद सांवराद में लंबे समय तक विवाद चला। सबकुछ सिमटने के बाद एक प्रस्ताव अफसरों को हथियार के साथ सम्मानित करने का बना। 15 अगस्त अथवा 26 जनवरी को इसके दिए जाने का प्रस्ताव तैयार हुआ। प्रस्ताव में आनंदपाल की फरारी से सांवराद तक के विवाद को खत्म करने में खास भूमिका निभाने वाले अफसरों को शामिल किया गया। इसमें तत्कालीन एसपी,डीडवाना एएसपी, कुचामन-डीडवाना के सीओ समेत एक दर्जन अफसरों को शामिल किया गया था। यह प्रस्ताव बड़े जोश के साथ गया भी पर न उसको अभी तक हरी झण्डी नहीं मिल पाई। बताया जाता है कि सरकार की तरफ से पिछले दिनों करीब नब्बे पुलिसकर्मियों को इनाम के अलावा कुछ को प्रमोशन से नवाजे जाने की घोषणा की गई। इसमें एक भी नागौर जिले का पुलिसकर्मी शामिल नहीं किया गया। माना जाता है कि एनकाउण्टर में शामिल पुलिसकर्मियों को सम्मानित कर करीब 22 महीने चले नागौर पुलिस की कड़ी मेहनत को दरकिनार कर दिया गया। हालत यह है कि सांवराद में उपद्रव के दौरान घायल हुए करीब तीन दर्जन पुलिसकमिर्यों के अलावा खुमाराम की शहादत को भी नजरअंदाज कर दिया गया। इन लोगों को प्रमोशन भी नहीं मिला तो अफसरों को भी सम्मानित होने की चाह अधूरी रह गई।
प्रस्ताव ठण्डे बस्ते में, एक-दो तो रिटायर
सूत्र बताते हैं कि हाल ही नब्बे पुलिसकर्मियों को इनाम की सरकारी घोषणा से बेदखल नागौर के पुलिसकर्मी आहत हैं। तब के तैनात अफसर में से एक-दो रिटायर हो गए जबकि अन्य दूसरे जिलों में तैनात हैं। सम्मान नहीं मिलने की पीड़ा इनकी भी है। बताते हैं कि इस संदर्भ में दो-तीन बार पुलिस अफसरों ने तत्कालीन आईजी तक भी इसकी बात पहुंचाई थी पर कोई असर नहीं हो पाया। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक अफसर ने बताया कि इससे हम हतोत्साहित हुए। आनंदपाल की फरारी के 22 महीने उसकी तलाश की भागदौड़ के साथ जान का जोखिम हम और हमारे जवानों ने लिया, एनकाउण्टर करने वालों को ही इनाम/रिवार्ड देकर हमारे साथ नाइंसाफी हुई है।
खाली हाथ आई तो शाबाशी
आनंदपाल के पैतृक गांव सांवराद में लम्बे समय तक चले विवाद के दौरान घायल होने वाले पुलिसकर्मी पचास से अधिक थे। यही नहीं आनंदपाल की फरारी के बाद महीनों और उसके एनकाउण्टर के बाद बिगड़े हालात पर काबू पाने वाले नागौर पुलिस ने भी कड़ी मेहनत की। अफसरों को भी पुलिसकर्मियों के साथ खूब शाबाशी भी मिली पर वो नहीं मिला जिसकी उन्हें चाह थी।
इनका कहना है

आनंदपाल का एनकाउण्टर कर पूरा के्रडिट देकर नब्बे पुलिसकर्मियों को सम्मानित करने में नागौर पुलिसकर्मियों के साथ उन अफसरों की अनदेखी की है जिन्होंने फरारी से लेकर सांवराद में उपजे तनाव को काबू करने में अपनी जान दांव पर लगा दी। अफसरों को भी आम्र्स और प्रशंसा पत्र के साथ 15 अगस्त और 26 जनवरी को सम्मानित करने का प्रस्ताव भी भेजा गया था पर कुछ नहीं हुआ। घायल पुलिसकर्मियों को न मुआवजा मिला न प्रमोशन। नागौर पुलिस के हिस्से कुछ नहीं आया।
-नरसीलाल मीना, पूर्व सीओ (तत्कालीन उपाधीक्षक डीडवाना)
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