scriptनागौर में पंचायती राज स्मारक का ख्वाब आज भी अधूरा | The dream of Panchayati Raj memorial in Nagaur is still incomplete | Patrika News

नागौर में पंचायती राज स्मारक का ख्वाब आज भी अधूरा

locationनागौरPublished: Dec 01, 2020 01:42:07 pm

Submitted by:

shyam choudhary

म्यूजियम के लिए भवन बना, लेकिन अंदर कुछ नहीं
प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 2 अक्टूबर 1959 को नागौर में दीप प्रज्वलित कर पंचायती राज व्यवस्था का उद्घाटन किया था

The dream of Panchayati Raj memorial in Nagaur is still incomplete

The dream of Panchayati Raj memorial in Nagaur is still incomplete

नागौर. देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 2 अक्टूबर 1959 को नागौर में दीप प्रज्वलित कर पंचायती राज व्यवस्था का उद्घाटन किया था। जिस चबूतरे पर खड़े होकर पंडित नेहरू ने पंचायती राज का श्रीगणेश किया, उसे यादगार स्थल बनाने की योजना 61 वर्ष बाद भी अधूरा सपना है।
जानकारी के अनुसार वर्ष 2005 में ग्रामसेवकों का प्रदेश स्तरीय सम्मेलन नागौर में आयोजित हुआ था। उस समय पंचायत स्मारक के चबूतरे को ढूंढ़ा गया। काफी मशक्कत के बाद पुलिस लाइन में चबूतरा मिला। इसके बाद तत्कालीन प्रचायती राज मंत्री से स्मारक को विकसित करने के लिए बजट की मांग की गई। जिस पर करीब 12 वर्ष पहले पंचायती राज विभाग ने इस स्थल की दशा सुधारने के लिए 50 लाख रुपए का बजट स्वीकृत किया था, लेकिन प्रशासनिक अड़चनों के चलते कुछ काम आज भी नहीं हो पाया है। वर्ष 2008 के जनवरी माह में चली लम्बी जद्दोजहद के बाद पुलिस विभाग ने 11 बीघा की बजाए 4.66 बीघा जमीन (पंचायती राज का चबूतरा पुलिस लाइन की चार दीवारी में है) स्मारक के लिए दी थी। उसी वर्ष अप्रेल माह में पंचायती राज विभाग के तत्कालीन शासन सचिव खेमराज व तत्कालीन जिला कलक्टर गायत्री ए. राठौड़ ने पंचायती राज स्मारक स्थल का मौका निरीक्षण भी किया था।
ये होने थे काम
50 लाख की स्वीकृत राशि से पंचायती राज स्मारक के लिए निर्धारित 4.66 बीघा जमीन की चारदीवारी, चबूतरे का सुदृढ़ीकरण एवं सौंदर्यकरण, म्यूजियम युक्त हॉल निर्माण, एप्रोच रोड निर्माण व सौंदर्यकरण सहित अन्य सुविधाएं विकसित करनी थी, लेकिन 12 वर्ष बाद भी यहां काम पूरा नहीं हो पाया है। चबूतरे का फर्श पत्थर लगाकर ठीक कर दिया है, लेकिन आसपास घास उगी हुई रहती है। म्यूजियम के लिए भवन तो बन गया, लेकिन उसमें पढऩ़े-देखने के लिए कुछ नहीं है।
अब उठने लगी पंचायती राज शोध व प्रशिक्षण संस्थान खोलने की मांग
पिछले कुछ वर्षों से जिले में पंचायती राज शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान खोलने की मांग जोर पकड़ रही है। बीआर मिर्धा कॉलेज के एनसीसी प्रभारी डॉ. प्रेमसिंह बुगासरा ने इसके लिए कई मंत्रियों, जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान नागौर में खोलने की आवश्यकता जताई है। उनका कहना है कि ग्राम स्वराज विकेन्द्रीकृत व प्रशासन के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए यहां तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने पंचायती राज की स्थापना की थी। उसके बाद से ही क्षेत्र की जनता विकेन्द्रीकृत प्रशासन के अनुरूप अपनी भूमिका निर्वहन करने के लिए तैयार है तथा अधिकतम हिस्सेदारी द्वारा प्रत्येक कार्य में बढ़-चढकऱ भाग लिया है। इसे देखते हुए नागौर जिले में पंचायती राज शोध व प्रशिक्षण संस्थान खोला जाना चाहिए। जिला उपभोक्ता मंच के सदस्य बलवीर खुडख़ुडिय़ा ने बताया कि पंचायती राज शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान के लिए पूरे देश में नागौर ही सबसे अधिक योग्य स्थान है। गत दिनों एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष सुरेश भाकर के नेतृत्व में एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने भी एडीएम को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम ज्ञापन सौंपकर नागौर जिले में पंचायती राज शोध व प्रशिक्षण संस्थान खोलने की मांग की थी।
स्मारक के लिए मिले रास्ता
पंचायती राज स्थापना के स्मारक को विकसित करने के लिए ग्राम विकास अधिकारी संघ आज भी तैयार है, लेकिन स्मारक की जगह पुलिस लाइन की चार दीवारी के अंदर होने से अगल से रास्ता नहीं है। हमें तो कोई कार्यक्रम करने के लिए भी पुलिस की अनुमति लेनी पड़ती है। दो साल पहले हमने काफी प्रयास किए थे, लेकिन अधिकारियों का सहयोग नहीं मिला।
– मेहराम चौधरी, जिलाध्यक्ष, ग्राम विकास अधिकारी संघ, नागौर
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