50 लाख की स्वीकृत राशि से पंचायती राज स्मारक के लिए निर्धारित 4.66 बीघा जमीन की चारदीवारी, चबूतरे का सुदृढ़ीकरण एवं सौंदर्यकरण, म्यूजियम युक्त हॉल निर्माण, एप्रोच रोड निर्माण व सौंदर्यकरण सहित अन्य सुविधाएं विकसित करनी थी, लेकिन 12 वर्ष बाद भी यहां काम पूरा नहीं हो पाया है। चबूतरे का फर्श पत्थर लगाकर ठीक कर दिया है, लेकिन आसपास घास उगी हुई रहती है। म्यूजियम के लिए भवन तो बन गया, लेकिन उसमें पढऩ़े-देखने के लिए कुछ नहीं है।
पिछले कुछ वर्षों से जिले में पंचायती राज शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान खोलने की मांग जोर पकड़ रही है। बीआर मिर्धा कॉलेज के एनसीसी प्रभारी डॉ. प्रेमसिंह बुगासरा ने इसके लिए कई मंत्रियों, जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान नागौर में खोलने की आवश्यकता जताई है। उनका कहना है कि ग्राम स्वराज विकेन्द्रीकृत व प्रशासन के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए यहां तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने पंचायती राज की स्थापना की थी। उसके बाद से ही क्षेत्र की जनता विकेन्द्रीकृत प्रशासन के अनुरूप अपनी भूमिका निर्वहन करने के लिए तैयार है तथा अधिकतम हिस्सेदारी द्वारा प्रत्येक कार्य में बढ़-चढकऱ भाग लिया है। इसे देखते हुए नागौर जिले में पंचायती राज शोध व प्रशिक्षण संस्थान खोला जाना चाहिए। जिला उपभोक्ता मंच के सदस्य बलवीर खुडख़ुडिय़ा ने बताया कि पंचायती राज शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान के लिए पूरे देश में नागौर ही सबसे अधिक योग्य स्थान है। गत दिनों एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष सुरेश भाकर के नेतृत्व में एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने भी एडीएम को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम ज्ञापन सौंपकर नागौर जिले में पंचायती राज शोध व प्रशिक्षण संस्थान खोलने की मांग की थी।
पंचायती राज स्थापना के स्मारक को विकसित करने के लिए ग्राम विकास अधिकारी संघ आज भी तैयार है, लेकिन स्मारक की जगह पुलिस लाइन की चार दीवारी के अंदर होने से अगल से रास्ता नहीं है। हमें तो कोई कार्यक्रम करने के लिए भी पुलिस की अनुमति लेनी पड़ती है। दो साल पहले हमने काफी प्रयास किए थे, लेकिन अधिकारियों का सहयोग नहीं मिला।
– मेहराम चौधरी, जिलाध्यक्ष, ग्राम विकास अधिकारी संघ, नागौर