scriptThe encroachers, either through collusion or negligence, destroyed the catchment area of the pond | VIDEO...मिलीभगत या फिर लापरवाही अतिक्रमणकर्ताओं ने तालाब का कैचमेंट एरिया ही खत्म कर दिया | Patrika News

VIDEO...मिलीभगत या फिर लापरवाही अतिक्रमणकर्ताओं ने तालाब का कैचमेंट एरिया ही खत्म कर दिया

locationनागौरPublished: Oct 18, 2023 10:29:30 pm

Submitted by:

Sharad Shukla

Nagaur. पटवारी सोते रह गए, और बख्तासागर तालाब का का कैचमेंट एरिया खत्म हो गया......

Nagaur news
Either through collusion or negligence, the encroachers destroyed the catchment area of ​​the pond.

-तालाब आवक के रास्तों पर हुए निर्माणों ने रोका बारिश का पानी, अब बरसात का पानी तालाब तक नहीं पहुंच पाता
-बरसात के पानी की आवक रुकने से अब नहीं भर पाता बख्तासागर तालाब
नागौर. शहर के प्रमुख तालाबों में शुमार बख्तासागर तालाब का कैचमेंट एरिया भी नहीं बचा। इन जगहों पर पिछले कुछ वर्षों के दौरान एक-नहीं सैंकड़ों की संख्या में हुए निर्माणों की वजह से तालाब में पानी की आवक पर लगाम लग गई है। बताते हैं कि पहले तो यह तीन से चार बारिश में 90 प्रतिशत से ज्यादा भर जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं रहा। अब पूरा तालाब कभी नहीं भरता। इसके पूरे जलबंध एरिया में हुए निर्माणों ने तालाब का मूल स्वरूप ही बिगाड़ कर रख दिया है।
शहर के प्रमुख तालाबों में शुमार बख्तासागर तालाब के कैचमेंट एरिया को अतिक्रमियों ने निगल लिया, और प्रशासन सोता रहा। तालाब के कैचमेंट एरिया में हुए निर्माण एक-दो दिन में नहीं, बल्कि पिछले कई वर्षों के दौरान किए गए। इसके चलते पूरा कैचमेंट एरिया लगभग समाप्त हो गया, लेकिन प्रशासन के जिम्मेदार सोते रहे। इसके चलते न केव तालाब का भोगौलिक ढांचा गड़बड़ा गया, बल्कि इसका आकार भी काफी छोटा गया है। जानकारों की माने तो पिछले दस से पंद्रह वर्षों के दौरान कैचमेंट एरिया में हुए निर्माणों की आई बाढ़ ने तालाब के पूरे अस्तित्व पर ही ग्रहण लगा दिया। इसके आसपास हुए निर्माणों की वजह से न केवल जलबंध एरिया खत्म हो गया, बल्कि यह इसका आकार भी एक छोटे कुण्ड की तरह हो चुका है। अब दूर से देखने पर भी यह बमुश्किल ही नजर आता है।
इधर से आता था पानी
तालाब में करणी कॉलोनी, राठौड़ी कुआं एवं व्यास कॉलोनी आदि से बरसात का पानी बहते हुए प्रतापसागर तालाब पहुंचता था। इसके बाद यह पानी बख्तासागर तालाब पहुंचता था। बताते हैं कि पहले इसमें आवक के रास्तों की संख्या दर्जनों में थी। अब सभी आवक लगभग बंद हो चुके हैं। इसके चलते अब तालाब अब पूरा कभी भर ही नहीं पाता है।
इन्होंने नहीं दिया ध्यान
प्रावधान के अनुसार संबंधित क्षेत्रों के हल्का पटवारियों की जिम्मेदारी होती है कि वह अपने एरिया में लगभग रोजाना सर्वे करेंगे। इस दौरान अपने एरिया में राजकीय भूमि या तालाब आदि पर कहीं अतिक्रमण का मामला पाए जाने पर इसकी जानकारी संबंधित अधिकारियों को देंगे। इसके साथ ही वह इसकी पूरी पक्की रिपोर्ट भी तैयार करेंगे। ताकि संबंधित के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जा सके। इसमें विशेष बात यह रही कि तालाबों के इर्द-गिर्द निर्माण होते रहे, और पटवारी सोते रहे। जानकारों की माने तो कथित रूप से मिलीभगत के खेल के चलते इतने वर्षों में किसी भी पटवारी इस तरह की रिपोर्ट दी ही नहीं। इसके चलते तालाब का कैचमेंट एरिया खत्म हो गया।
इनका कहना है...
तालाब के कैचमेंट एरिया में निर्माणों की कोई जानकारी नहीं है, और न ही इस तरह की कोई शिकायत अभी फिलहाल आई है। फिर भी इसकी जांच करा ली जाएगी। प्रावधानों का पूरा पालन कराया जाएगा।
सुनील कुमार, उपखण्ड अधिकारी नागौर

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