scriptमजदूरों में कोरोना का खौफ, करने लगे गांवों का रूख | The fear of Corona among the workers, started the trend of the village | Patrika News

मजदूरों में कोरोना का खौफ, करने लगे गांवों का रूख

locationनागौरPublished: Apr 19, 2021 11:04:06 pm

Submitted by:

Ravindra Mishra

सवाईसिंह हमीराणा
खींवसर (nagaur). प्रदेशभर में कोरोना की दूसरी लहर तेजी से फैल रही है, कोरोना से बढ़ती मौतों का खौफ मजदूरों को सता रहा है। ऐसे में लाईम स्टोन की लीजों व चूना कली भट्टों पर काम करने वाले विभिन्न प्रांतों के मजदूर अपने घरों की ओर रूख करने लगे हंै।

Migrant laborers stranded in Rohtak and Katra reached Chhatarpur by Shramik Express

सोमवार को पीडि़त मजदूर कलेक्ट्रेट पहुंचे और अधिकारियों को परेशानी बताई.,खरगोन. घायल बाल मजदूरों को इलाज के लिए जिला अस्पताल पहुंचाया गया।,सोमवार को पीडि़त मजदूर कलेक्ट्रेट पहुंचे और अधिकारियों को परेशानी बताई.,खरगोन. घायल बाल मजदूरों को इलाज के लिए जिला अस्पताल पहुंचाया गया।,Migrant laborers stranded in Rohtak and Katra reached Chhatarpur by Shramik Express

– मजदूरों के अभाव में चून्ना भट्टों पर करोड़ों का कोयला ठंडा
– लाईम स्टोन की लीजों पर बेकार खड़ी मशीनें

इससे लीजों व चून्ना भट्टों पर काम प्रभावित होने लगा है। हालात यहीं रहे तो धीरे-धीरे उद्योग बंद हो जाएंगे। कोरोना के भय के चलते स्थानीय मजदूर भी काम पर आने से कतरा रहे हैं। ऐसे में काम बंद होने से प्रतिदिन लीजों व चून्ना भट्टा मालिकों को करोड़ों र
हालांकि सरकार वित्तीय स्थिति मजबूत रखने के लिए उद्योग धंधों को चालु रखा है, लेकिन कोरोना के भय के चलते मजदूरों के काम पर नहीं आने से लीजों व चून्ना भट्टों पर काम बंद होने लगा है। खींवसर, ताडावास, भावण्डा, माणकपुर, प्रेमनगर में बड़ी तादाद में लीजें व चून्ने भट्टे हैं। करोड़ों रुपए फूंककर चालू होने वाले चून्ना भट्टे मजदूर नहीं होने से ठंडे हो रहे है। खास बात यह भी है कि चून्ने भट्टे बंद रहने से लीजधारक भी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। लीजों में निकलने वाले पत्थर की अधिकांश खपत यहां स्थित चून्ना भट्टों पर होती है। स्थिति यह है कि श्रमिकों के अभाव लीजों पर करोड़ों रुपए की मशीनें बेकार पड़ी है तो चूना भट्टों डाला गया करोड़ों का कोयला ठंडा हो रहा है।
श्रमिकों के बिना कोयला ठंडा

चूना भट्टा संचालकों का कहना है कि चूना भट्टे पर कार्य शुरू करने से तीन दिन पहले उसमें डेढ़ से दो लाख रुपए का कोयला डालकर जलाया जाता है। तीन दिन बाद भट्टा गर्म होता है तब जाकर कार्य शुरू होता है। भारी मात्रा में कोयले को चूना भट्टों में जलाकर गर्म होने के लिए छोड़ दिया कोयला बिना श्रमिकों के यह ठंडा पड़ रहा जिससे प्रत्येक भट्टे पर करीबन डेढ़ से दो लाख रुपए का नुकसान हो जाएगा। गौरतलब है कि खींवसर में करीब 150 भट्टे संचालित होते हैं जिसमें करोड़ों रूपए का कोयला काम में लिया जाता है।
खड़ी है करोड़ों की मशीनें

लीजों में खनन कार्य के लिए करोड़ों रुपए की मशीने काम में ली जाती है। लेकिन मजदूरों के बिना लीजों में खनन कार्य नहीं हो पा रहा है जिससे लीजधारकों को भारी नुकसान की आशंका है। ऊपर से सरकार के नये टैक्स लगाने से लीज संचालकों को दोहरी मार पड़ेगी।
आर्थिक हानि उठा रहे

चूना भट्टों के एक बार बन्द होने से गैस बाहर निकलने की परेशानी रहती है तथा जो वापस सुचारू होने में तीन से पांच दिन का समय लगता है। इससे करीब तीन लाख से अधिक की हानि होने का अनुमान रहता है। चूना भट्टे बन्द रहने से अकेला चूना उद्योग ही प्रभावित नहीं हुआ है, बल्कि इससे लीज धारक भी भारी परेशान है। लाईम स्टोन की खपत बन्द होने से रॉयल्टी का सरकार को भी नुकसान होगा।
प्रभावित हो रहा काम

मजदूरों की कमी के कारण लीजों पर नाम मात्र का काम चल रहा है। यहां से निकलने वाले लाईम स्टोन की अधिकांश खपत चून्ना भट्टों में होती है, लेकिन चून्ना भट्टों पर भी कम मजदूर होने के कारण पत्थर की खपत नहीं हो पा रही है जिससे लीजधारकों को नुकसान हो रहा है।
– राजेश शर्मा, लीजधारक

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