देश में पहली बार राजस्थान में वाइल्ड लाइफ बोर्ड की सलाह पर वर्ष 2016 में जिलवार पशु / पक्षी की घोषणा की गई। हर जिले में स्थानीय परिस्थियों के अनुसार एक पशु या पक्षी को जिले के प्रतीक के रूप में पहचान देते हुए उसके संरक्षण और प्रजाति के संवर्धन के निर्देश दिए गए। लेकिन अफसरों की अनदेखी से यह पहल सिर्फ कागजी बनकर रह गई। जबकि तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक में यह निर्देश दिए थे कि हर जिले में जिला स्तरीय वन्य जीव को बचाने और संरक्षित करने की दिशा में विशेष कार्य होंगे। हालांकि तत्कालीन सरकार के अंतिम सालों में भी इस पहल पर उल्लेखनीय कार्य नहीं हुए।
अजमेर – खड़मौर, अलवर – सांभर, बांसवाड़ा- जलपीपी, बारां- मगर, बाड़मेर- मरू लोमड़ी, भरतपुर- सारस, भीलवाड़ा-मोर, बीकानेर- भट्ट तीतर, बूंदी- सुर्खाब, चित्तौडग़ढ़- चौसिंगा, चुरू – काला हिरण, दौसा – खरगोश, धौलपुर – पंछीरा, डूंगरपुर – जंगील धोक, हनुमानगढ़ व जयपुर – चीतल, जैसलमेर – गोडावन, जालौर- भालू, झालावाड़ – गगरोरनी तोता, जोधपुर- खूरजा, करौली – घडिय़ाल, कोटा – उदबिलाव, नागौर – राजहंस, पाली – तेंदुआ, राजसमंद- भेडिय़ा, प्रतापगढ़ – उडऩ गिलहरी, सवाईमाधोरपुर – बाघ, श्रीगंगानगर- चिंकारा, सीकर – शाहीन, सिरोही – जंगली मुर्गी, टोंक – हंस और उदयपुर – बिज्जू के नाम से पहचान दी गई।
जिला पशु व पक्षी की घोषणा के साथ ही प्रत्येक जिले में संबंधित वन्य जीव के संरक्षण के लिए विशेष प्रयास किए जाने थे। इनके चित्रों को शुभंकर के रूप में इस्तेमाल करना था। जिलों में उनके संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने के लिए गतिविधियां आयोजित की जानी थी। साथ ही सरकारी विभागों के लेटर पेड व अन्य दैनिक कामकाज की सामग्री में इन जीवों के फोटो प्रकाशित करना था, ताकि आमजन में इनके प्रति जागरूकता बढ़े।
पहला राज्य राजस्थान
देश में राजस्थान ऐसा पहला राज्य था, जहां वन्यजीवों के अनुसार जिलों का मस्कट तय किया गया। यह अपने आप में एक नया प्रयोग था। इससे पहले तक प्रदेश स्तर पर राज्य पशु या पक्षी के नाम तय किए जाते थे। उसे संरक्षण की दिशा में सरकारें काम करती थी। लेकिन इस नए प्रयोग से सीधे तौर पर प्रदेश की 33 वन्य जीव प्रजातियों को संरक्षित करने की योजना थी, जो सिरे नहीं चढ़ सकी।
हालांकि नागौर जिले में हाल ही में आयोजित हुए वेटलेंड वीक के दौरान जिला पक्षी राजहंस (लेजर फ्लेमिंगो) को सांभर वेटलेंड का ब्रांड एम्बेसेडर बनाया गया है।
राज्य पशु या पक्षी की तर्ज पर ही जिला पशु/ पक्षी की घोषणा पिछली सरकार में की गई थी। इसके पीछे उद्देश्य यही था कि संबंधित हर जिले की वन्य जीव प्रजाति संरक्षित हो सके। सरकारी विभागों के लेडर पेड पर इनके फोटो प्रकाशित करने से लेकर उन्हें हर तरीके से प्रचारित करने की योजना थी, ताकि लोगों में वन्य जीवों के प्रति जागरूकता आए। लेकिन बाद में इस पर अधिक काम नहीं हो पाया।
– धर्मेंद्र खंाडल, पूर्व सदस्य, राज्य वन्य जीव मंडल, राजस्थान
– दौलत सिंह शक्तावत, स्टेंडिंग कमेटी सदस्य, राज्य वन्य जीव मंडल, राजस्थान
– अरविंद तौमर, मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक