पांच-सात प्रयास पर नतीजा सिफर
नागौर खनि अभियंता धीरज पंवार का कहना है कि प्रारंभिक तौर पर इसकी नीलामी के पांच-सात बार प्रयास भी हुए पर नतीजा सिफर निकला। खान विभाग को खरीदार ही नहीं मिले। खान विभाग ने जब्तशुदा बजरी को बेचने के लिए नीलामी प्रक्रिया अपनाई थी। बाद में पीडब्लूडी, राजमार्ग समेत अन्य उन विभागों के अधिकारियों की मदद ली गई, जहां बड़े काम चल रहे हैं और ठेकेदारों ने इसे उठाया।
न भंडारण न परिवहन
बजरी माफिया से बचने व आमजन तक बजरी पहुंचाने के लिए खान विभाग के अधिकारियों ने शर्त रखी थी कि नीलाम की गई बजरी का न तो भंडारण हो सकेगा और न ही परिवहन। खरीदी गई बजरी सीधे उपयोग स्थल पर जाएगी। इस शर्त से आमजन इसे खरीद सकता था। ऐसे में बजरी का भाव इन दिनों आसमान पर है, बावजूद इसके खान विभाग को इसके खरीदार नहीं मिल रहे।
सभी थानों से मांगी थी जानकारी
सूत्रों के अनुसार तकरीबन पांच-छह महीने पहले जिले के सभी थानों से जब्त बजरी की जानकारी मांगी गई थी। खान विभाग जब्तशुदा बजरी को बेचने के लिए नीलामी करना चाहता था। बताया जाता है कि बजरी को खान विभाग, परिवहन और पुलिस नाकाबंदी के दौरान पकडक़र नजदीकी थानों में पुलिस निगरानी में खाली करवाती है। काफी समय से थानों में बजरी के बड़े ढेर लग गए थे। यहां तक कि कई जगह पर थानों के स्टाफ को अपने वाहन खड़े करने तक की जगह नहीं मिल रही थी। इसके चलते पुलिस मुख्यालय ने खान विभाग को पत्र लिखकर पूरे प्रदेश के थानों में जब्त बजरी को नीलाम करने के लिए भी कहा था।
बजरी नहीं मिलना भी बवाल सूत्रों का कहना है कि करीब दो दर्जन में रत्ती भर बजरी का नहीं मिलना सवाल के साथ बवाल खड़ा कर रहा है। बजरी के अवैध खनन को लेकर पादूकलां-रियांबड़ी-थांवला को इसका गढ़ माना जाता है पर बड़े-बड़े कस्बों के थाने में बजरी का एक कण भी नहीं मिलना रहस्य पैदा कर रहा है। मकराना, कुचामन, डीडवाना, परबतसर ही नहीं नागौर शहर के आसपास के थाने भी बजरी के लिहाज से खाली हैं। सवाल यह उठ रहा है कि क्या बजरी से भरा कोई ट्रक-ट्रेक्टर यहां जब्त ही नहीं हुआ। क्या इन थानों में कभी कोई बजरी नहीं उतरवाई गई। और तो और क्या यहां के आसपास हाई-वे अथवा इलाकों में बजरी से भरी कोई गाड़ी जब्त नहीं की गई। ऐसा तो नहीं कि बिना किसी कार्रवाई के गाडिय़ां छूटती गई हों।
राजेश मीना, एएसपी नागौर