पृथ्वी को उठाया
टंकोर और नगाड़े की तेज धमक के साथ ही भगवान वराह का आगमन होते ही हिरण्याक्ष रूपी मलुके भाग छूटे। भगवान वराह के रूप में रम्मत कर रहे पूजारी महेश पारासर ने पृथ्वी को गोद में उठा लिया। इतने में श्रद्धालुओं ने जमकर जयकारे लगाए। इससे पहले मंदिर परिसर में बड़ी संख्या में मलुके घूम कर बच्चों को बार-बार डराते रहे। ज्योंही मलूके बच्चे के सामने आते तो बच्चे परिजनों की ओट में छुपकर आंखे बंद कर लेते। ऐसे नजारों ने लोगों को रोमांचित कर दिया। कई बच्चे ज्यादा डर जाने पर जोर से रोने लगे।
मंदिर के बाहर भी मेले सा दृश्य…
काठडिय़ों की चौक भगवान वराह की रम्मत देखने आने वालों से आबाद रही। शाम से पहले ही लोगों का आगमन हो गया। मलुकों के साथ आने वाली टोलियां भी लोगों को रोमांचित करती रही। मंदिर के बाहर खाद्य पदार्थ की अस्थाई दुकानों पर लोग चाट-पकौड़ी का आनंद लेते रहे। मंदिर परिसर में भी जगह-जगह भामाशाहों ने पानी और शरबत की व्यवस्था की गई।