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नागौर

गर्मी के तीखे तेवर ने बढ़ाए मरीज, उल्टी-दस्त के रोगी बेशुमार

गर्मी के तीखे तेवर का असर चहुंओर दिखने लगा है। आग उगलती गर्मी खुले में लोगों को बेहाल कर रही है, वहीं घर के भीतर भी ठीक ढंग से सुकून नहीं लेने दे रही।

नागौरMay 24, 2024 / 09:40 pm

Sandeep Pandey

चिकित्सकों से दवा लेने तक ही नहीं घरेलू नुस्खा भी आजमा रहे हैं लोग

ओपीडी ही नहीं वार्ड तक में भर्ती मरीजों में करीब 25 फीसदी उल्टी-दस्त अथवा लू से ग्रसित

नागौर. गर्मी के तीखे तेवर का असर चहुंओर दिखने लगा है। आग उगलती गर्मी खुले में लोगों को बेहाल कर रही है, वहीं घर के भीतर भी ठीक ढंग से सुकून नहीं लेने दे रही। अकेले जेएलएन अस्पताल में आने वाले मरीजों में उल्टी-दस्त के साथ लू के ही करीब एक चौथाई हैं यानी पच्चीस फीसदी हैं। भर्ती होने वालों में भी तो ओपीडी में आने वालों में भी सर्वाधिक गर्मी की चपेट में आए मरीज हैं। महिलाओं की तुलना में पुरुष मरीजों की संख्या ज्यादा है।
सूत्रों के अनुसार करीब एक हफ्ते में जेएलएन अस्पताल ही नहीं नागौर (डीडवाना-कुचामन) के सीएचसी/पीएचसी तक में झुलसा देने वाली गर्मी से होने वाले रोगों से पीडि़त लोग अधिकाधिक पहुंच रहे हैं। इनमें सर्वाधिक उल्टी-दस्त फिर लू और उसके बाद गला खराब, खांसी-जुकाम के साथ बुखार के लक्षण लिए चिकित्सकों के पास पहुंचने वाले इन मरीजों में बुजुर्ग भी हैं तो बच्चे भी। भीषण गर्मी के बीच राहत देेने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से पुख्ता इंतजाम किए गए हैं पर शरीर को झुलसा देने वाली गर्मी में लोग सरकारी दवाखाना तक नहीं पहुंच पा रहे।
सूत्र बताते हैं कि कुछ दिनों से जेएलएन अस्पताल समेत अन्य स्वास्थ्य केन्द्रों पर गर्मी की चपेट में आ रहे सर्वाधिक रोगियों की उम्र बीस से पचास वर्ष के आसपास है। इनमें महिलाओं की संख्या बीस फीसदी के करीब है। चिकित्सकों की दवा के साथ लोग घरेलू नुस्खे भी बराबर अपना रहे हैं। इस समय उल्टी-दस्त का प्रकोप सबसे अधिक है। बीमारियों की चपेट में वही आ रहे हैं जो घर से बाहर निकल रहे हैं।
ना नींद पूरी ना भोजन

जेएलएन अस्पताल के डॉ अशोक झाड़वाल (एमडी-मेडिसिन) का कहना है कि इस समय मरीजों में से एक चौथाई उल्टी-दस्त अथवा लू से पीडि़त हैं। बढ़ती गर्मी से अधिकाधिक लोगों का रूटीन प्रभावित हुआ है। कई मरीजों का कहना है कि उन्हें इन दिनों भूख नहीं लग रही, कुछ की खाने की चाह नहीं है। गर्मी कह बेहाली यह कि रात को एक बार नींद खुल जाती है तो दोबारा नहीं आ रही। असल में बदलाव के चलते कूलर/पंखे तक नाकाम हैं, राहत पाने के हर प्रयास कम लग रहे हैं। उल्टी-दस्त के रोगियों को ठीक होने में चार-पांच दिन लग रहे हैं।
इन्हें ज्यादा सचेत रहना हैै..

जेएलएन अस्पताल की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ दीपिका व्यास का कहना है कि इस मौसम में डि-हाइड्रेशन (पानी की कमी) सबसे बड़ी प्रोब्लम है। गर्भवती महिला में पानी की कमी होने पर ब्लड प्रेशर कम हो जाता है। पानी की कमी से डायरिया हो सकता है जो ब्रेन/हार्ट पर बुरा असर कर सकता है। गर्भवती हो या नवजात को जन्म देने वाली मां, भीषण गर्मी से बचने के लिए शरीर को हाइड्रेट रखना बहुत जरूरी है। इसके लिए पानी, जूस, शरबत जितना हो सके पीना चाहिए।
बच्चों पर भी भारी

चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ श्रवण खोजा का कहना है कि छोटे बच्चों में पानी का स्टोरेज कम होता है, ये भी डायरिया की चपेट में आ जाते हैं। आठ से चौदह साल के बच्चे धूप में खेलते-कूदते रहते हैं, ऐसे में वो गर्मी हवा की चपेट में आ जाते हैं। बच्चों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। इन दिनों आने वाले बच्चों में भी इसी तरह की बीमारी है। परिजन उन्हें धूप से बचाएं तथा पानी अधिक मात्रा में दें।
बदल गया अंदर-बाहर सब

बढ़ती गर्मी ने जहां सड़कों पर अघोषित कफ्र्यू सा लगा दिया है। सरकारी दफ्तर तक भी सूने कर दिए हैं। रोजमर्रा काम के लिए आने वाले अब कलक्ट्रेट हो या नगर परिषद अथवा एसपी ऑफिस, गिने-चुने ही दिख रहे हैं। शहर के बाजारों में जूस/ठण्डा ज्यादा तलाशा जा रहा है वहीं गरम कचौरी-पकौड़ी के शौकीन कम दिख रहे हैं। घरों में भी आलम कुछ अलग ही दिख रहा है, जरा सी देर के लिए बत्ती गुल होने पर हड़कम्प सा मच रहा है। फ्रीज से निकाल कर रखी शीतल पेय की बोतल चंद मिनट में उबलने लगती है। देर तक सोने वाले जल्दी उठ रहे हैं । कई तो एक बार नींद टूटने के बाद सो ही नहीं पाते। भूख नहीं लगने, नींद नहीं आने के साथ बेचैनी, अधिक पसीने जैसी तमाम शिकायतें डॉक्टर रोज सुन रहे हैं। खास बात यह कि चिकित्सकों से दवा लेने के बाद भी घरेलू नुस्खा अपनाने में भी कोई चूक नहीं रहा है।
इनका कहना

भीषण गर्मी के कारण उल्टी-दस्त के रोगी बढ़े हैं। बदले मौसम के चलते ऐसे रोगियों के लिए विशेष वार्ड है जहां पुख्ता इंतजाम हैं। लोगों को भीषण गर्मी से बचने के लिए एहतियातन उपाय करने चाहिए।
-डॉ महेश पंवार, पीएमओ, जेएलएन अस्पताल, नागौर।

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