सूत्रों के अनुसार रायल्टी ठेकेदार और उनके कारिंदों का उपद्रव आए दिन देखने को मिलता है। अवैध खनन माफिया पादूकलां, रियांबड़ी, खींवसर समेत अनेक इलाकों में अपना वजूद बनाने में जुटे हैं। शिकायत के बाद भी राजनीतिक संरक्षण के चलते उन पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं होती। मकराना एसआई महेन्द्र सिंह पालावत की कार्रवाई के बाद ये भागते-फिर रहे हैं।
सूत्र बताते हैं कि 24 मार्च की रात डम्पर चालक कानाराम को भी इन दबंगों ने परेशान किया था। गजेंद्र सिंह, रामचंद्र गीला समेत सात-आठ बदमाशों ने उसका मलबा तक फिकवा दिया और उससे मारपीट कर छह हजार रुपए भी छीन लिए। इसके बाद वहां से गुजर रहे मकराना थाने के एसआई महेन्द्र सिंह पालावत चालक श्रवण के साथ गश्त पर थे। रात करीब 11 बजे सिपाही तुलसीराम ने बताया कि सूचना मिली है कि कुछ लोग शराब के नशे में जूसरिया तिराहा पर राहगीरों से मारपीट कर रहे हैं। पालावत ने हवलदार जगदीश प्रसाद व पर्वत सिंह को मौके पर बुलाया और खुद भी वहां पहुंच गए। वहां भी ये दबंग उपद्रव करते मिले। मौजूद बदमाश पुलिस को देख गाली गलौच कर बिना नंबरी गाड़ी में बैठकर भागने लगे। उनमें से कुछ को एसआई महेन्द्र सिंह ने समझाने का प्रयास किया पर वह तैश में आ गए और महेन्द्र सिंह के साथ हाथापाई शुरू कर दी। उसने अपना नाम गजेन्द्र सिंह बताया। पुलिस ने गजेन्द्र सिंह पुत्र गोविंद सिंह निवासी लोसल को शांतिभंग में गिरफ्तार किया था। हालांकि बाकी साधू सिंह, कुलदीप सिंह, नरेंद्र सिंह, रामचंद्र गीला आदि भाग छूटे। एसआई महेन्द्र के परिवाद पर भी इन सभी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
दो दिन तो राजनीतिक दबाव या फिर मान-मनोव्वल के चलते ही न मामला दर्ज हो पा रहा था न ही दबंगों के खिलाफ कोई कार्रवाई। मामले को रफा-दफा करने की कोशिश भी हुई पर रंग नहीं ला पाई। उधर, खुद को सही साबित करने के लिए दबंगों ने पुलिसकर्मियों पर ही परिवाद दायर किया है। फिलहाल मामले की जांच की जा रही है।