गौरतलब है कि श्रम विभाग द्वारा मृत्यु सहायता योजना में नियम विरुद्ध जारी की गई सहायता राशि को लेकर राजस्थान पत्रिका द्वारा उजागर किए गए फर्जीवाड़े के जिला कलक्टर ने जांच कमेटी गठित की है, जो जांच कर रही है, लेकिन श्रम विभाग के अधिकारियों ने वर्ष 2019, 2020 व 2021 में मृत्यु सहायता योजना के साथ प्रसूति सहायता योजना में भी जमकर फर्जीवाड़ा किया। इसका खुलासा होने के बावजूद वर्तमान अधिकारी बाज नहीं आ रहे हैं और श्रमिक पंजीकरण में गड़बड़ी कर रहे हैं, जिनकी भी जांच उच्च स्तर पर कराने की आवश्यकता है।
प्रसूति सहायता के प्रकरणों में फर्जीवाड़ा
केस -1 : भींयाराम को चौथे बच्चे पर सहायता
खींवसर क्षेत्र के देऊ निवासी भींयाराम का श्रम विभाग में श्रमिक के रूप में पंजीकरण है। भींयाराम के जन आधार कार्ड में सुंदर, राकेश व सागर तीन बच्चे बताए गए हैं, जिनका जन्म 21 नवम्बर 2017 तक हो गया था। इसके बावजूद 2 अगस्त 2020 को पैदा हुए चौथे बच्चे पर उसे अधिकारियों ने मिलीभगत कर 28 जनवरी 2021 को 20 हजार की आर्थिक सहायता जारी कर दी।
केस -1 : भींयाराम को चौथे बच्चे पर सहायता
खींवसर क्षेत्र के देऊ निवासी भींयाराम का श्रम विभाग में श्रमिक के रूप में पंजीकरण है। भींयाराम के जन आधार कार्ड में सुंदर, राकेश व सागर तीन बच्चे बताए गए हैं, जिनका जन्म 21 नवम्बर 2017 तक हो गया था। इसके बावजूद 2 अगस्त 2020 को पैदा हुए चौथे बच्चे पर उसे अधिकारियों ने मिलीभगत कर 28 जनवरी 2021 को 20 हजार की आर्थिक सहायता जारी कर दी।
केस-2 : देरामाराम को तीसरे बच्चे पर मिली सहायता
नागौर क्षेत्र के सिंगड़ निवासी देरामाराम ने वर्ष 2018 में जब श्रमिक के रूप में पंजीकरण करवाया तो उसके लीला व चेनाराम दो बच्चे पहले थे, जिसका उल्लेख उसके जन आधार कार्ड में दर्ज है। इसके बाद जुलाई 2020 में तीसरी संतान हुई, लेकिन अधिकारियों ने उसे नजर अंदाज करते हुए लाभ दे दिया।
केस - 3 : फर्जी जन्म प्रमाण पत्र लगाया
नरेन्द्र नाम के व्यक्ति ने तो बच्चा नहीं होने पर भी फर्जी जन्म प्रमाण पत्र लगाकर सहायता राशि उठा ली। नरेन्द्र ने जिस बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र पेश किया है, उस पर जो रजिस्ट्रेशन संख्या लिखी हुई है, उसकी ऑनलाइन डिटेल देखने पर अरशद अली की पुत्री शारिका नूर की जानकारी सामने आती है, जबकि नरेन्द्र ने भावना के नाम का प्रमाण पत्र पेश किया है।
नरेन्द्र नाम के व्यक्ति ने तो बच्चा नहीं होने पर भी फर्जी जन्म प्रमाण पत्र लगाकर सहायता राशि उठा ली। नरेन्द्र ने जिस बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र पेश किया है, उस पर जो रजिस्ट्रेशन संख्या लिखी हुई है, उसकी ऑनलाइन डिटेल देखने पर अरशद अली की पुत्री शारिका नूर की जानकारी सामने आती है, जबकि नरेन्द्र ने भावना के नाम का प्रमाण पत्र पेश किया है।
केस - 4 : प्रसूता की आयु 20 वर्ष नहीं हुई
नागौर निवासी श्रवणराम की पत्नी मैना के 2 सितम्बर 2020 को पुत्र पैदा होने पर श्रम विभाग के अधिकारियों ने 18 जनवरी 2021 को सहायता राशि के रूम में 20 हजार रुपए स्वीकृत कर दिए, लेकिन जिस समय मैना के प्रसव हुआ, उस समय वह खुद 20 वर्ष की नहीं हुई, जबकि नियमानुसार प्रसूता की उम्र 20 वर्ष होना जरूरी है।
नागौर निवासी श्रवणराम की पत्नी मैना के 2 सितम्बर 2020 को पुत्र पैदा होने पर श्रम विभाग के अधिकारियों ने 18 जनवरी 2021 को सहायता राशि के रूम में 20 हजार रुपए स्वीकृत कर दिए, लेकिन जिस समय मैना के प्रसव हुआ, उस समय वह खुद 20 वर्ष की नहीं हुई, जबकि नियमानुसार प्रसूता की उम्र 20 वर्ष होना जरूरी है।
सैकड़ों प्रकरणों में फर्जीवाड़ा
प्रसूती सहायता योजना के सैकड़ों प्रकरण ऐसे हैं, जिनमें अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखकर फर्जी तरीके से सहायता राशि जारी की है। कई प्रकरणों में दो से अधिक संतान होने पर तो कई में जन्म प्रमाण पत्र में तारीख बदलकर येन-केन प्रकारेण लाभ पहुंचाया गया है।
प्रसूती सहायता योजना के सैकड़ों प्रकरण ऐसे हैं, जिनमें अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखकर फर्जी तरीके से सहायता राशि जारी की है। कई प्रकरणों में दो से अधिक संतान होने पर तो कई में जन्म प्रमाण पत्र में तारीख बदलकर येन-केन प्रकारेण लाभ पहुंचाया गया है।