scriptजीवन में जो स्थान श्वास का है, समाज में वहीं स्थान विश्वास का है | The place in which life is breathing, there is faith in the society | Patrika News

जीवन में जो स्थान श्वास का है, समाज में वहीं स्थान विश्वास का है

locationनागौरPublished: Nov 21, 2018 07:33:58 pm

Submitted by:

shyam choudhary

चार्तुमास के दौरान समणी सुयशनिधि ने धर्म में दृढ़ रहने की दी प्रेरणा

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नागौर. जयमल जैन पौषधशाला में अखिल भारतीय श्वेतांबर स्थानकवासी जयमल जैन श्रावक संघ शाखा के तत्वाधान में चल रहे चातुर्मास के अंतर्गत समणी निर्देशिका डॉ. सुयशनिधि ने प्रवचन सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि जीवन में जो स्थान श्वास का है, समाज में वहीं स्थान विश्वास का है। जिस प्रकार चासनी बिगडऩे पर पकवान बिगड़ जाते हैं, उसी प्रकार संदेह, शंका के कारण श्रद्धा के बिगडऩे पर धर्म कार्य खोखले हो जाते हैं। डॉ. समणी ने कहा कि संसार में चार दुर्लभ अंगों में से एक दुर्लभ अंग है श्रद्धा होना, जिनवाणी पर आस्था होना। जैसे दूध में जावन देने के बाद बार-बार हिलाने से दही नहीं बन पाता है, ठीक उसी तरह सांसारिक कार्यों में डूबे रहने से, आसक्त रहने से, संदेह करने से सम्यक्तव डगमगा जाता है। इस दौरान उनके द्वारा अनेक दृष्टांत एवं कथानक के माध्यम से धर्म में दृढ़ रहने की प्रेरणा दी गई। इस अवसर पर अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने धर्म कार्य में दृढ़ रहने का संकल्प लिया।

संजय पींचा ने बताया कि गुरुवार को चतुर्मासिक पर्व मनाया जाएगा। इस दौरान प्रवचन की प्रभावना के लाभार्थी ताराचंद, निर्मलचंद, नरपतचंद, सुशीलकुमार चौरडिय़ा परिवार रहे तथा दर्शन प्रतिमा के लाभार्थी मदनदेवी, सज्जनराज, विजयराज ललवानी परिवार रहा। इस अवसर पर रीता ललवानी ने भजन प्रस्तुत किए।

पूनमचंद बैद ने बताया कि प्रवचन में पूछे गए तीन प्रश्नों के उत्तर जयेश पींचा, सुपारसचंद लोढ़ा लीला ललवानी ने दिए। उत्तर देने वालों को शांतिलाल डूंगरवाल परिवार बैंगलोर की ओर से पांच-पांच ग्राम के चाँदी के सिक्कों से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर पुष्पा ललवानी, सुनिता ललवानी, कंचनदेवी ललवानी, शोभादेवी पारख आदि मौजूद रहे।

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