सूत्र बताते हैं कि अभी जेल में आने वाले बंदियों का अधिकांश लेखा-जोखा रजिस्टर में दर्ज होता है। कम्प्यूटर में मोटी-मोटी जानकारी ही फीड हो पाती हैं। जेल स्टाफ का काम न बढ़े और बंदियों को उनकी हर जानकारी चाहने पर तुरंत उपलब्ध हो जाए, इसी वजह से यह सिस्टम लगाया जा रहा है। अभी फिलहाल यह इनफोर्मेशन कियोस्क सिर्फ नागौर जिला जेल में ही लगाया जा रहा है। मेड़ता, डीडवाना और परबतसर जेलों में इसे लगाने की अभी दूर-दूर तक कोई सूरत नजर नहीं आ रही।
बंदियों से जेल ठसाठस सूत्रों के अनुसार नागौर जेल की क्षमता 69-70 बंदियों की है, जबकि वर्तमान में यह डेढ़ सौ तक पहुंच चुकी है। रोजाना बंदियों के आने-जाने और बार-बार रजिस्टर में इंद्राज करने की झंझट तो कम होगी ही। साथ ही पुराने बंदियों का ब्योरा भी मिलने में आसानी होगी।
जर्जर हो रही है मेड़ता जेल सूत्रों से पता चला है कि जेलर राजमहेन्द्र ने मेड़ता के साथ परबतसर और डीडवाना जेल का हाल ही में निरीक्षण किया। इसमें मेड़ता जेल के भवन की स्थिति कोई खास अच्छी नहीं पाई गई। दरअसल मेड़ता जेल की बिल्डिंग तलाई पर बनी हुई है। जिससे इसकी दीवारें कमजोर हो चुकी हैं और बिल्डिंग धंस सी रही है। परबतसर जेल के भवन में भी मरम्मत और सुधार की आवश्यकता जताई गई, जबकि डीडवाना जेल पूरी तरह फिट पाया गया।
इनका कहना इनफोर्मेशन कियोस्क आ गया है, जल्द ही लगाया जाएगा। बंदी को पेशी की तारीख समेत अन्य समस्त जानकारियां अब अंगूठा लगाते ही मिल जाएगी। इससे जेलकर्मियों के कागजी काम का भार भी कम होगा।
-राजमहेन्द्र, जेलर नागौर जेल