बुजुर्ग पिता और भाई विमला की मदद करने लगे पर आखिर इतना सबकुछ होता कैसे। इस दौरान विमला के घर वालों ने कई बार हिमताराम और उसके परिजनों से विमला को ले जाने की बात कही। कई बार हिमताराम को बुलाया गया पर वह विमला को शर्तों पर ले जाने की बातें करता रहा। वहीं दूसरी ओर ससुराल वाले उसे पैसा-गहना देकर तलाक देने की बात करने लगे। और तो और हिमताराम ने विमला को नौकरी तक छोडऩे की धमकी दी ताकि वो भरण-पोषण की हकदार भी न बन पाए। विमला अपने पर होते सितम के बाद भी मजबूती से खड़ी रही।
सूत्र बताते हैं कि करीब सवा साल पहले विमला जिला सैनिक कल्याण कार्यालय पहुंची। जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल मुकेश शर्मा को अपनी पीड़ा बयान की। कर्नल शर्मा ने उसकी शिकायत ली और अपने स्तर पर हिमताराम के यूनिट और सेंटर तक दस्तावेज चलाए। यूनिट ने इसकी जांच करवाई, केस को स्वीकृत करते हुए नोटिस जारी करने के बाद हवलदार हिमताराम की पगार का करीब 33 फीसदी हिस्सा विमला देवी को देने का आदेश दिया। आदेश में यह भी कहा कि यह राशि एक अक्टूबर 2019 से दी जाए।
आदेश के मुताबिक इस 33 फीसदी में से विमला को साढ़े सोलह फीसदी, उनकी बच्चियां सलोचना (14), निर्मला (12) और पीयूष (8) को साढ़े पांच-साढ़े पांच फीसदी राशि देना तय हुआ है। इस तरह हिमताराम की पगार में से 33 फीसदी राशि मिलेगी। एक अक्टूबर 2019 से यह राशि दी जाएगी, हालांकि अभी तो करीब 24-25 हजार रुपए ही आ रहे हैं।
-विमला देवी, जायल, नागौर
विमला को न्याय दिलाने का हरसंभव प्रयास किया जो सफल भी हुआ। करीब एक साल में दर्जनभर पत्र संबंधित मुख्यालय और अधिकारियों को दिए। सुनवाई ऐसी हुई कि कमाण्ड हेडक्वार्टर ने विमला को राहत देते हुए भरण-पोषण की राशि स्वीकृत कर दी। कम समय में मिलने वाला यह पूरा न्याय है।