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नागौर

अर्द्धवार्षिक परीक्षा के परिणाम का भी होगा आकलन, कम रिजल्ट वाले शिक्षकों पर गिरेगी गाज

-नवीं से बारहवीं कक्षा के विद्यार्थियों की अर्द्धवार्षिक परीक्षा आज से- स्कूली ड्रेस का भी वितरण शुरूनागौर. कक्षा नवीं से बारहवीं कक्षा तक की अर्द्धवार्षिक परीक्षा 11 दिसम्बर से प्रारंभ होंगी। इसी दिन सभी सरकारी स्कूलों में बच्चों को ड्रेस का वितरण किया जाएगा। करीब छह महीने से स्कूली बच्चे ड्रेस का इंतजार कर रहे थे।

नागौरDec 11, 2023 / 08:49 pm

Sandeep Pandey

सरकारी स्कूलों के हाल खराब

रिक्त पदों के चलते सरकारी स्कूलों के हाल खराब हैं। बरसों से खाली पड़े पदों पर कोई ध्यान नहीं दे रहा। कुछ पद हाल ही में भरे गए, लेकिन वो ऊंट के मुंह में जीरा की तरह हैं। करीब एक चौथाई से अधिक पद खाली हैं ।

सूत्रों के अनुसार स्कूलों में 23 दिसम्बर तक अर्द्धवार्षिक परीक्षा चलेगी। अलग-अलग तिथि से शुरू हो रही इन परीक्षाओं के परिणाम पर शिक्षकों का भी आकलन किया जाएगा। नागौर (डीडवाना-कुचामन) जिले के तकरीबन चालीस हजार विद्यार्थी दसवीं व बारहवीं बोर्ड की परीक्षा में बैठेंगे। नवीं से बारहवीं कक्षा के बच्चों की संख्या साठ हजार से अधिक बताई जा रही है। अध्यापन को लेकर शिक्षकों की शिकायत जग-जाहिर है। वर्ष 2022-23 की बोर्ड परीक्षा में कम रिजल्ट देने पर कई शिक्षकों को नोटिस तक जारी किए जा चुके हैं।
सूत्र बताते हैं कि अर्द्धवार्षिक परीक्षा के परिणाम को भी इस बार गंभीरता से लिया जा रहा है। उच्च अधिकारियों का कहना है कि दसवीं-बारहवीं बोर्ड की परीक्षा में तीन माह बाद बैठने वाले बच्चों की पढ़ाई की स्थिति क्या है, इससे पता चलेगा। यह भी सामने आया कि तीस फीसदी स्कूलों में कोर्स भी आधा-अधूरा सा है।
रिक्त पद से भी हाल-बेहाल

रिक्त पदों के चलते सरकारी स्कूलों के हाल खराब हैं। बरसों से खाली पड़े पदों पर कोई ध्यान नहीं दे रहा। कुछ पद हाल ही में भरे गए, लेकिन वो ऊंट के मुंह में जीरा की तरह हैं। करीब एक चौथाई से अधिक पद खाली हैं । 25 हजार 792 में से पांच हजार पद खाली हैं। जिले के करीब तीन हजार से अधिक स्कूलों का यह हाल है। कई स्कूल तो एक अथवा दो शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं। हालत यह है कि दसवीं-बारहवीं का कोर्स पूरा कराने के लिए शिक्षकों की वैकल्पिक व्यवस्था करनी पड़ रही है। सरकारी शिक्षकों की किल्लत से परिणाम बिगड़ रहा है। पिछले पांच साल में विषय के अनुरूप गणना करें तो परिणाम में अध्यापकों की किल्लत से तीन से पांच फीसदी की गिरावट आ रही है। शिक्षकों की तबादला नीति में हो रहे दांवपेंच भी इसका कारण बताए जाते हैं।
केवल दो-तीन शिक्षक से चल रहा है काम

सूत्रों का कहना है कि नागौर समेत कुछ अन्य शहरी/कस्बाई इलाकों को छोड़ दें तो सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की किल्लत साफ नजर आती है। मकराना के पास एक राउप्रा विद्यालय में केवल तीन शिक्षक हैं, ऐसे में आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को पढ़ाएं कैसे? आलम यह है कि गणित/अंग्रेजी पढ़ाने वाले अध्यापक नहीं हैं। ऐसा ही हाल मौलासर, पीलवा, खजावाना, मेड़ता समेत जिले के कई क्षेत्र में चल रहे स्कूलों का है। यहां तक कि सीनियर सैकण्डरी स्कूलों में विषय अध्यापक की तंगी खत्म नहीं हो पा रही।
इनका कहना

नवीं से बारहवीं कक्षा की अर्द्धवार्षिक परीक्षा सोमवार से शुरू हो रही है। इसका रिजल्ट बोर्ड परीक्षा में बैठने वाले विद्यार्थियों की तैयारी के संकेत देता है। स्कूली ड्रेस का वितरण भी शुरू हो गया है।-रामनिवास जांगिड़, कार्यवाहक सीडीइओ, नागौर।
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स्कूली ड्रेस वितरण शुरू
नागौर. लंबे समय से चल रहा स्कूली ड्रेस का इंतजार खत्म हो गया है। सोमवार को सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को ड्रेस बांटी गई। इसके साथ नवीं से बारहवी तक की अद्र्धवार्षिक परीक्षा भी शुरू हुई। नागौर (डीडवाना-कुचामन) जिले के सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को स्कूली ड्रेस वितरित होने लगी है। कुछ ब्लॉक में संभवतया एक-दो दिन में यह प्रारंभ होगा।

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