scriptखाकी को साथ लेकर चलाने लगे गड़बड़ी का राज | The secret of disturbances started with Khaki | Patrika News

खाकी को साथ लेकर चलाने लगे गड़बड़ी का राज

locationनागौरPublished: Feb 24, 2021 11:25:53 pm

Submitted by:

Ravindra Mishra

संदीप पाण्डेयनागौर. शांति व्यवस्था व पुलिस का सहयोग करने के लिए बनाए गए समुदाय समन्वय समिति (सीएलजी) सदस्यों पर गाज गिरेगी। कोरोना के चलते करीब एक साल से अटक रहा समिति का पुनर्गठन तो होगा ही साथ ही दलाली समेत संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त कुछ सदस्यों पर कार्रवाई हो सकती है।

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सीएलजी सदस्यों की फौज

जिले के 31 थानों के साथ जिला, वार्ड/पंचायत और बीट स्तर पर अगले हफ्ते तक सदस्यों की फाइनल सूची तय हो जाएगी। वैसे हर साल एक तिहाई मेम्बर का बदलाव होता है।

सूत्रों के अनुसार जिले में महिला थाना को छोडकऱ 31 थानों में थाना स्तर पर तीस-तीस सीएलजी सदस्य हैं। बीट स्तर पर बारह-बारह, वार्ड/पंचायत स्तर पर पांच-पांच तो जिला स्तर पर हर थाने से एक-एक सदस्य होता है। करीब एक साल से भी अधिक अर्सा हो गया, इनका फेर बदल ही नहीं किया गया। अब पुलिस इसकी देरी का ठीकरा कोरोना पर फोड़ रही है, जबकि पहले से ही इस मामले में लेटलतीफी चल रही है।
पता चला है कि ऊपरी आदेश के बाद जिला स्तर पर जाग हुई और अब ताबड़तोड़ तरीके से सीएलजी सदस्यों पर काम शुरू हो रहा है। ऐसा बताया जा रहा है कि पांच-सात दिन में सभी स्तर के सीएलजी सदस्यों का पुनर्गठन कर दिया जाएगा।
निष्क्रिय ज्यादा तो गड़बड़ी वाले भी कम नहीं
सूत्रों का कहना है कि पूरे नागौर जिले की हालत सीएलजी के लिहाज से लचर है। सदस्यों के चयन में कहीं राजनीति तो कहीं पुलिस की मेहरबानी हावी रहती है। यही वजह है कि सीएलजी का राजनीतिकरण कम इससे फायदा उठाने की परम्परा हावी हो गई है। अव्वल तो पूरे साल में सीएलजी की मीटिंग ही न के बराबर हुई। और तो और जो पहले भी होती रही उनमें भी पूरे लोग शामिल नहीं होते। वर्तमान में थाना अथवा जिला स्तर पर गठित सीएलजी के कई सदस्यों के दलाली समेत कई संदिग्ध गतिविधियों की शिकायतें पुलिस अथवा उच्च अधिकारियों को भी मिलीं पर वे ताक पर रख दी गईं। कार्रवाई करने का जब-जब भी कहा गया तो पुनर्गठन की बात कहकर टाल दिया गया।
मेम्बर वही जो खिलाफ नहीं बोले
सूत्र बताते हैं कि सीएलजी में उन्हीं का चयन होता है जो बैठक में पुलिस के खिलाफ नहीं बोले। अपराध पर अंकुश लगाने के लिए बने सीएलजी ग्रुप के सदस्यों के चयन पुलिस बिना उसकी योग्यता जाने औपचारिकता निभाते हुए मर्जी से चयन करती है। पिछली बार चयनित कई सदस्य या तो किसी पुलिसकर्मी के खास होने की वजह से चुने गए या फिर सरपंच समेत कई बड़े राजनीतिक पदों की कृपा से। कुल मिलाकर सीएलजी सदस्यों का चयन भी औपचारिकता बन गई है। हर महीने होने वाली सीएलजी बैठक का बाकायदा रजिस्टर भी होता है, जिसमें सदस्यों की ओर से दिए जाने वाले सुझाव लिखे जाते हैं। अगली बैठक में पिछली बैठक की समीक्षा भी की जाती है। हकीकत में इनका समाधान होता ही नहीं है। चुने जाने वाले कई सदस्य भी पुलिस के साथ में रहने से अपने काम बनाने में लग जाते हैं। नियमानुसार किसी भी राजनीतिक पार्टी से जुड़े कार्यकर्ता या पदाधिकारी को सदस्य नहीं बनाया जा सकता पर जिले में इसे धता बताया गया है।
हकीकत से दूर
जिला स्तर पर सीएलजी सदस्यों और पुलिस अधिकारियों की बैठक पिछले हफ्ते ही नागौर में हुई। एसपी कार्यालय के कॉन्फ्रेंस हाल में सीएलजी की मीटिंग एसपी श्वेता धनखड़ की अध्यक्षता में हुई। करीब एक दर्जन थाना प्रभारी, कुछ सीओ के साथ हर थाने का एक-एक सीएलजी मेम्बर शामिल हुआ। इसके बाद भी जब सदस्यों को बोलने का मौका मिला तो पुलिस की समस्या बताकर चुप हो गए। अपराध बढऩे अथवा वारदात नहीं खोल पाने या फिर पुलिस की खामियों के बारे में कोई कुछ नहीं बोला।
इनका कहना है

सीएलजी सदस्यों की किसी तरह की शिकायत नहीं मिली। पिछले हफ्ते ही एसपी ने जिला स्तर पर सीएलजी सदस्यों की मीटिंग ली थी। कुछ दिनों में पुनर्गठन हो रहा है।
-राजेश मीना, एएसपी, नागौर।
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