
-बख्तासागर तालाब के पानी में ऊपरी हिस्से में गंदगी जमी मोटी पर्त
-गंदे पानी के चलते अब बख्तासागर तालाब का हो रहा भूजल भी खराब
-राजस्थान पत्रिका अभियान पांचवीं कड़ी
नागौर. शहर के प्रतापसागर तालाब की साफ-सफाई पिछले कई सालों से नहीं की गई है। अभी भी इस तालाब में कई जगहों से गंदा पानी आ जाता है। विशेषकर बरसात के दौरान तो नाले का सीधा पानी इसी तालाब में आकर गिरता है। सडक़ों एवं इधर, उधर से होते हुए एकत्रित होकर पूरा पानी किनारों से होते हुए सीधा बख्तासागर तालाब में पहुंचता है। कई बार तो इसमें सीवर में जाने वाला भी मिला रहता है। इसके चलते तालाब में पानी तो भरा है, लेकिन यह गंदा मटमैला होने के साथ दुर्गन्धयुक्त भी है। इसकी वजह से यह पानी पीने योग्य भी नहीं रहा। बताते हैं कि इसके पीछे भी कथित रूप से लोगों की मंशा यही रही कि इस तालाब को गंदला कर अनुपयोगी दर्शा दिया जाए, ताकि तालाब के आसपास के कैचमेंट एरिया में हुए अवैध कब्जों पर कार्रवाई ही न हो सके। इसके चलते ऐतिहासिक बख्तासागर तालाब की विरासत अब खतरें में नजर आने लगी है। हालांकि तहसील प्रशासन का मानना है कि जल्द ही उपखण्ड के तालाब एवं इनके कैचमेंट एरिया की जांच कराई जाएगी। ताकि इस पर कार्रवाई की जा सके।
तालाब को बना दिया गंदा नाला
तालाब को देखने पर एक सिरे इसके पूरे पानी गंदगी ऊपर ही सामने नजर आने लगती है। इसके किनारों पर गंदगी के साथ ही कंटीली झाडिय़ां भी तालाब में मिल जाती है। इसके पानी की ऊपरी पर्त पर गंदगी की एक मोटी चादर भी जम गई है। इसमें कई जगहों पर उगी घास के साथ कंटीली झाडिय़ां ही बता देती हैं कि इस तालाब का रखरखाव कैसे किया जा रहा है।
गंदगी के तालाब में शिवलिंग
तालाब के पानी के साथ शिवलिंग भी गंदे पानी के बीच नजर आया। इसके चारों ओर हरी काई के साथ ही गंदगी उतराती नजर आई। स्थानीय लोगों की माने तो बख्तासागर तालाब पार्क में टहलने वाले भी इस दृश्य को देखकर मायूस हो जाते हैं।
तालाब का पानी था बेहद मीठा
स्थानीय लोगों के अनुसार पहले तालाब पहली ही बारिश में आधा से ज्यादा भर जाता था। दूसरी बारिश में तालाब पूरा भरा हुआ नजर आता था। आसपास के क्षेत्रों से सैंकड़ों की संख्या में न केवल लोग यहां पानी के लिए पहुंचते थे, बल्कि इस तालाब का पानी पशुओं के लिए भी संजीवनी का काम करता था। अब तालाब की हालत यह हो गई है कि पहले की अपेक्षा न केवल काफी सिकुड़ गया है, बल्कि यह गंदे नाले का तालाब नजर आने लगा है। हालांकि पूर्व में तत्कालीन सभापति कृपाराम सोलंकी के कार्यकाल में तालाब का जीर्णोद्धार कराया गया था। यहां से पूरा गंदा पानी निकालने के बाद प्रदूषित जल के यहां आने की निकासी को बंद कराया गया था। इसी लिए बगल में एक नाला भी बनाया गया था। इसके बाद तालाब काफी समय तक काफी स्वच्छ हालत में रहा। बाद में फिर से वही स्थिति हो गई।
तालाब का पानी बना दिया जहरीला
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि प्रदूषित पानी वह पानी है जिसकी संरचना इस हद तक बदल गई है कि वह अनुपयोगी है। दूसरे शब्दों में, यह जहरीला पानी है जिसे पिया नहीं जा सकता या कृषि जैसे आवश्यक उद्देश्यों के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता है। मुख्य जल प्रदूषकों में बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी, उर्वरक, कीटनाशक, दवा उत्पाद, नाइट्रेट, फॉस्फेट, प्लास्टिक , मल अपशिष्ट और यहां तक कि रेडियोधर्मी पदार्थ शामिल हैं। ये पदार्थ हमेशा पानी का रंग नहीं बदलते हैं, जिसका अर्थ है कि ये अक्सर अदृश्य प्रदूषक होते हैं।
इनका कहना है…
गंदगी की आड़ में तालाब को खत्म कर कब्जा करने की मेरे पास तो कोई शिकायत नहीं आई है। फिर भी ऐसा कहीं है तो इसे देखवा लिया जाएगा।
हरदीप सिंह, तहसीलदार नागौर
Published on:
30 Sept 2024 10:21 pm
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