शहीद की मां बाउड़ी को पेंशन स्वीकृति के लिए जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल एमके शर्मा ने सैनिक कल्याण विभाग राजस्थान के निदेशक को गत 27 अगस्त को पत्र लिखा। कर्नल शर्मा ने पत्र में बताया कि शहीद महेन्द्रपाल की की माता की आर्थिक स्थिति खराब है और अकेली वृद्ध औरत है, जो अक्सर बीमार रहती है। शहीद की सम्पूर्ण पेंशन शहीद की पत्नी निर्मला कंवर को मिलती है और वह सरकारी सेवा में है, जबकि शहीद की मां को किसी प्रकार की पेंशन नहीं मिलती। इसलिए शहीद की मां को पेंशन स्वीकृति के लिए अग्रिम कार्रवाई करें।
मंगलवार को कलक्ट्रेट में आई शहीद की मां बाउड़ी ने सरकारी व्यवस्था के साथ समाज की व्यवस्था पर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं। नवम्बर 2012 में जब महेन्द्रपाल शहीद हुए, तब जिस प्रकार हमारे जनप्रतिनिधियों ने उनके बलिदान पर बड़े-बड़े भाषण दिए। हजारों लोग उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए, तब शहीद की मां को भी गर्व हुआ कि उनके बेटे ने देश की खातिर अपने प्राणों की आहुति दी है। लेकिन मात्र 9 साल में बाउड़ी को गुजारे के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं। ऐसे में अब एक ही सवाल उठता है कि क्या, जिनके बेटे शहीद होते हैं, उन्हें यही ईनाम मिलता है।