सूत्रों का कहना है कि कमल टॉवर में चल रही इस कम्पनी में यह गौरखधंधा कई महीनों से चल रहा था। कंपनी सोने के बदले उधार देती है। कंपनी के प्रबंधक सुखसिंह, अन्य अधिकारी मनोज चौधरी इसाराम, ऋषभ चौधरी, कुलदीप सिंह, भंवरसिंह, महेन्द्र काला और गुड्डी ने गोल्ड लोन लेने वाले ग्राहकों से मिलीभगत करके कम्पनी के नियमों को ताक पर रख नाजायज लाभ पहुंचाकर कम्पनी को करीब पंद्रह किलो सोना यानी पांच करोड़ से अधिक की चपत लगाई है। हालांकि ग्राहकों से वापसी की उम्मीद भले ही हो, लेकिन पूरी वापसी नहीं हो पाएगी, क्योंकि सोना तौलने में ही भारी गड़बड़ी हुई थी।
गोल्ड लोन के मूल्यांकन प्रक्रिया में सोने के अलावा किसी भी नग, धागा, मोती समेत अन्य किसी भी अन्य चीजों का वजन कम करके सोने के जेवर में कुल वजन में से कम करके शुद्ध सोने के वजन पर दिया जाना चाहिए।
आलम यह रहा कि शाखा प्रबंधक और उनके कर्मचारियों ने सोने के आभूषण में से इनका वजन कम किए बिना ग्राहकों को लोन दे दिया। यही नहीं कम्पनी के ऑडिटर सत्यप्रकाश शर्मा और देवेन्द्र शर्मा को भी षडयंत्र में शामिल करके उनसे फर्जी ऑडिट रिपोर्ट तैयार करवा ली। बाद में हुई ऑडिट में सोने में करीब 14.9 किलोग्राम की गड़बड़ी निकली। ऑडिटर सत्यप्रकाश शर्मा और देवेन्द्र शर्मा ने अनुचित लाभ के लिए गलत ऑडिट रिपोर्ट बना दी। इसके बाद जितेंद्र सिंह राठौड़ ने ऑडिट की।
यह मिली गड़बड़ी सूत्र बताते हैं कि इसी साल 19 से 28 फरवरी तक ऑडिट में सोना करीब 14.9 किलोग्राम कम निकला। जिसका नुकसान करीब चार करोड़ 92 लाख रुपए निकला। बाद में ग्राहकों से करीब दो करोड दस लाख की वसूली की गई। फिर भी दो करोड़ 82 लाख से अधिक की राशि बकाया रह गई। नए शाखा प्रमुख विशाल ने आभूषण में नग, मैना - मोती की कटौती के तहत कुछ और आभूषणों की पहचान की तो राठौड़ की ऑडिट रिपोर्ट भी गलत पाई । इसके बाद कम्पनी के निर्देशानुसार धीरेन्द्र कुमार श्रीवास्ताव ने तीन से नौ मई तक ऑडिट की। उन्होंने बताया की 6891 ग्राम सोना कम है। ग्राहकों से रिकवरी के बाद भी दो करोड 23 लाख रुपए बकाया हैं। सभी आरोपियों ने मिलकर आपराधिक साजिश रचकर और फर्जी तरीके से लोन दिया । ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर करीब सात करोड़ 28 लाख में से दो करोड़ से अधिक की वसूली कर ली गई, जबकि पांच करोड़ से अधिक की राशि बकाया है। करीब पंद्रह किलो सोने की हेरफेर सामने आई है। ग्राहकों के साथ नामजद अधिकारी/कर्मचारी से वसूली के भी कारगर उपाय ढूंढे जा रहे हैं।
ग्राहकों की लम्बी फेहरिस्त सूत्र बताते हैं कि रिपोर्ट के साथ गड़बड़ी में शामिल ग्राहकों की भी लम्बी फेहरिस्त पुलिस को सौंपी गई है। रिपोर्ट में कहा गया कि सबने यह जानते हुए कि गिरवी रखने वाले जेवरात का शुद्ध वजन कम है, लेकिन धागे समेत अन्य चीजों को वजन में शामिल करवाया। ग्राहकों के लोन समेत दिए गए जेवर की भी जांच की जा रही है। किसने-कितनी गड़बड़ी की है, इसे खंगाला जा रहा है।