जुलाई माह के शुरूआत में विद्यालय खुलने से एक तरफ खुशी का माहौल है तो वहीं दूसरी ओर के अध्यापक व अभिभावक जर्जर जलाशय के गिरने के डर से सहमे हुए हैं।राजस्थान पत्रिका ने गत 21 मार्च को Òजर्जर जलाशय से जीवन पर संकटÓ शीर्षक से खबर प्रकाशित कर विभाग का ध्यान आकर्षित करवाया था, लेकिन तीन महीने से अधिक समय बीतने के बावजूद विभाग ने कोई कार्यवाही नहीं की। ग्रामीणों का कहना है यहां कोई जनहानि होने के बाद ही विभाग की नींद खुलेगी।
जलापूर्ति का कोई विकल्प नहीं, गंदा पानी पीने को मजबूर ग्रामीण गौरतलब है कि गांव की आधी आबादी के लिए जल सप्लाई इसी जलाशय से हो रही है, जबकि पिछले तीन साल से इस जलाशय की सफाई तक नहीं हुई है। हां अप्रेल 2021 तक सफाई की तारीख जरूर बदली जाती थी पर अब तो तारीख भी वही पुरानी लिखी हुई है तो आखिर जलाशय की सफाई कैसे हो रही है। साथ ही अगर यह जलाशय क्षतिग्रस्त होकर गिर जाता है तो विभाग के पास जलापूर्ति का कोई दूसरा विकल्प उपलब्ध नहीं है।
जल का होने लगा रि्साव, जलाशय फूटा तो बनेंगे बाढ के हालात जलाशय के जर्जर होकर मुख्य भाग से जल रिसाव होना शुरू हो गया है, ऐसे में अगर जलाशय का मुख्य भाग फूटा तो आस-पास की बस्ती में बाढ जैसे हालात बन जाएंगे।
अवधि पार कर चुका जलाशय सन् 1982 में बना यह जलाशय अवधि पार कर चुका है। नियमानुसार ऐसी सम्पति 30 वर्ष तक ही उपयोग में ली जा सकती है, लेकिन 40 वर्ष बीतने के बावजूद इसको गिराया नहीं गया है। अब यह स्वत: गिरने की स्थिति में आ गई है।
मेरे ध्यान में नहीं आप किस जलाशय की बात कर रहें है, मेरे ध्यान में नहीं है आप कनिष्ठ अभियन्ता से बात करें। जयनारायण मेहरा सहायक अभियन्ता, जलदाय विभाग नियमों में बंधे हुए है, नया जलाशय नहीं बनवा सकते
इस जलाशय को या तो गिरा सकते हैं या फिर मरम्मत करवा सकतें है। मरम्मत का कार्य स्वीकृत हो गया है। नया जलाशय नहीं बनवा सकते नियमों में बंधे हुए है। मानसिंह रेवाड़
कनिष्ठ अभियन्ता, जलदाय विभाग