फैज मोहम्मद को तो इसे क्यों नहीं सूत्र बताते हैं कि खुमाराम के पिता मोहनराम ने कई बार पुलिस के आला अधिकारियों को पत्र लिखा। पत्र में उन्होंने यह भी कहा कि वर्ष 2013-14 में जब पुलिसकर्मी फैज मोहम्मद आनंदपाल गैंग के हाथों शहीद होने के बाद राष्ट्रपति वीरता पदक हासिल कर सकता है तो खुमाराम को आखिर क्यों इससे वंचित किया जा रहा है। बताया जाता है कि तत्कालीन एसपी परिस देशमुख ने इसकी अभिशंसा भी की, लेकिन कुछ नहीं हुआ। देशमुख ने तो अपने पत्र में अजमेर रेंज आईजी को वर्ष 2016 में ही आने वाले गणतंत्र दिवस पर वीरता पदक से सम्मानित करने की अपील की थी। यहां तक कि उन्होंने अपने पत्र में यह भी लिखा कि खुमाराम की शहादत के बाद वहां मिली अपराधियों की गाड़ी से कई महत्वपूर्ण सुराग मिले जो आनंदपाल गैंग के कई बदमाशों की गिरफ्तारी का आधार बने।
करना तो सरकार को ही है... शहीद के पिता मोहनराम कहते हैं कि अब तो बार-बार जाकर गुहार करना भी अच्छा नहीं लगता। छह साल होने के बाद भी कई पत्र आगे गए, लेकिन पदक मिलने की खुशी लेकर कोई खत हमारे पास नहीं आया। पता नहीं आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? हम तो चाहते हैं कि खुमाराम को शौर्य सम्मान भी मिले। अब इंतजार तो है, लेकिन देखते हैं कब तक मिलेगा। करना तो सरकार को ही है..।
अब सारे चुप क्यों? खुमाराम की शहादत पर कई दिनों तक हंगामा बरपा। शहीद के लिए खूब बड़ी-बड़ी बातें हुई। उसके सम्मान के लिए बड़ी से बड़ी, घोषणाएं भी पर सबकुछ धरा का धरा रह गया। शुरुआत में तो सब बोले, फिर किसी ने कोई रुचि नहीं दिखाई। अब तो शहीद के परिवार को कोई संभालने भी नहीं जाता। गौरतलब है कि 21 मार्च 2016 को आनंदपाल गैंग से मुठभेड़ में कांस्टेबल खुमाराम शहीद हो गया था।