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Nagaur patrika news. प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए बनना पड़ेगा पारंपरिक

locationनागौरPublished: Jan 08, 2021 11:20:47 pm

Submitted by:

Sharad Shukla

Nagaur patrika. इन्वायरमेंटल इश््यूज पर वेबिनार में चर्चा-प्राकृतिक आपदाओं, अकाल तथा महामारी से मुकाबला करने में खेती, पशुपालन तथा सांस्कृतिक मूल्यों की प्रासंगिकता समझाई

To avoid natural disasters, it has to be traditional

To avoid natural disasters, it has to be traditional

नागौर. बी.आर. मिर्धा राजकीय महाविद्यालय में शुक्रवार को रसायन शास्त्र विभाग एवं आई.क्यू.ए.सी. प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वावधान में हुए नेशनल वेबिनार में इन्वायरमेंटल इश्यूज् एण्ड देयर रेमेडीज‘ विषय पर बिंदुवत चर्चा हुई। इस वेबिनार के उद्घाटन सत्र में प्रो. आर.एल. गोदारा, कुलपति वर्धमान महावीर कोटा विष्वविद्यालय, कोटा ने कोविड-19 महामारी काल में पर्यावरणीय परिवर्तन तथा प्राकृतिक संतुलन में मानवीय हस्तक्षेप पर प्रकाश डाला तथा मनुष्य एवं प्रकृति की पूरकता का महत्व समझाया। विषय विषेषज्ञ पी.के. शर्मा ने सतत् विकास की आवष्यकताओं को रेखांकित करते हुए जीवन में 3.त् रिड्यूज, रियूज व रिसायकिल को अपनाने की सलाह दी। प्रो. ए.के. छंगानी ने अपने उद्बोधन में मरूस्थल के कठोर प्राकृतिक परिवेष में प्रकृति संरक्षण की हमारी प्राचीन परम्पराओं ओरण, अंगोर के माध्यम से लोक जीवन में पर्यावरण चेतना की उपादेयता को स्पष्ट किया। प्राकृतिक आपदाओं, अकाल तथा महामारी से मुकाबला करने में खेती, पशुपालन तथा सांस्कृतिक मूल्यों की प्रासंगिकता का महत्व बताया। डॉ. सुमन पंवार ने वायु प्रदूषण एवं प्रदूषकों के नियंत्रण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। विषय विषेषज्ञों ने प्रजेंटेशन के माध्यम से प्रदर्शित किया। इसमें देश एवं प्रदेश के 117 सहायक आचार्य, सह आचार्य, आचार्य तथा रसायन शास्त्र विषय के 48 शोधार्थी एवं अन्य शिक्षकों सहित 165 प्रतिभागियों ने ऑनलाईन पंजीयन करवाया। ऑनलाईन से जुड़ कर इस अन्तरविषयी वेबिनार में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी। इसमें वेबिनार में राजस्थान के 28 जिलों से प्रतिभागी उपस्थित थे। अध्यक्षता मिर्धा महाविद्यालय के प्राचार्य शंकरलाल जाखड़ ने की। मुख्य अतिथि कोटा के वर्धमान महावीर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.एल. गोदारा थे। इनके अतिरिक्त विषय विशेषज्ञ के रूप में पूर्व विभागाध्यक्ष रसायन शास्त्र एवं रजिस्ट्रार जय नारायण व्यास विश्वविद्यालयप्रो के पी.के. शर्मा, जोधपुर, प्रो. ए.के. छंगानी, बीकानेर एवं डॉ. सुमन पंवार, पोस्ट डॉक्टोरल फेलो, आई.सी.एस.एस.आर., नई दिल्ली थे।

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