scriptबिगड़ती स्थिति को काबू में करने के लिए किसानों को समझाते हैं कीटनशाकों के प्रभाव | To control the deteriorating situation, the farmers are explained the effects of insecticides | Patrika News

बिगड़ती स्थिति को काबू में करने के लिए किसानों को समझाते हैं कीटनशाकों के प्रभाव

locationनागौरPublished: Oct 22, 2021 10:15:09 pm

Submitted by:

Sharad Shukla

Nagaur. सब्जियों, फलों एवं अनाजों में अधाधुंध कीटनाशकों के प्रयोगों से बिगड़ती स्थिति अब नियंत्रण से बाहर होने लगी है

To control the deteriorating situation, the farmers are explained the effects of insecticides

To control the deteriorating situation, the farmers are explained the effects of insecticides

नागौर. सब्जियों, फलों एवं अनाजों में अधाधुंध कीटनाशकों के प्रयोगों से बिगड़ती स्थिति अब नियंत्रण से बाहर होने लगी है। इसका असर मनुष्यों के साथ ही पशु, पक्षियों एवं अन्य जीवधारियों पर साफतौर पर पडऩे से हालात बिगड़े हैं। विशेषकर इस पर रोकथाम के लिए सरकारी स्तर पर कोई कदम नहीं उठाए जाने के कारण पिछले दस सालों के अंतराल में अधिक उत्पादन की होड़ में पेस्टीसाइड का पचास फीसदी उपयोग बढ़ा है। इस संबंध में गुरुवार को कृषि विभाग के अधिकारियों से बातचीत की गई कि इसे रोके जाने के लिए कानूनी प्रावधान नहीं होने के बाद भी उनकी ओर से काश्तकारों को जैविक खेती के करने एवं कीटनाशकों के अधिक प्रयोग रोके जाने के संदर्भ में क्या कदम उठाए गए। इनके प्रयास क्या रंग लाए हैं…!
किसानों को जाकर समझाते हैं
जैविक खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए विभाग की ओर से तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। इस संबंध में किसानों को समझाया जा रहा है कि जैविक से ज्यादा उत्पादन लिए जाने की होड़ में वह खुद अपना और, दूसरों के शरीर के स्वास्थ्य का नुकसान कर रहे हैं। उनको स्पष्ट तौर पर समझाया जाता है कि वह आवश्यकतानुसार इसका प्रयोग जरूरी होने पर ही करें तो फिर कृषि अधिकारी या कर्मी के बताई विधियों के अनुसार करें। ज्यादा उत्पादन की होड़ में तय मात्रा से ज्यादा छिडक़ाव न करें।
हरीश मेहरा, उपनिदेशक, कृषि विस्तार नागौर.
किसानों को जाकर विधियां भी बताते हैं
जिला कलेक्टर भी हमेशा बैठक में सब्जियों एवं फसलों में हानिकारक कीट एवं रोग के नियंत्रण के लिए रासायनिक कीटनाशकों की जगह जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करवाने की सलाह देते रहते हैं । विभाग ओर से किसानों को यथासमय जाकर समझाया जाता है कि सब्जियों एवं फसलों मैं अच्छे परागकण के लिए लाभदायक कीटों को बचाते हुए हानिकारक कीट एवं रोगों के नियंत्रण के लिए जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करें। ताकि शुद्ध व हानिरहित सब्जियां एवं अनाज उपलब्ध हो सके। किसानों को जैविक कीटनाशक तैयार करने तक की विधियां समझाई व बताई जाती है।
शंकरराम सियाग, कृषि अधिकारी पौध संरक्षण कृषि विभाग.
मनमर्जी से कीटनाशक का प्रयोग न करें किसान
किसानों को जैविक उत्पादन की महत्ता के साथ इसकी विशेषताएं समझाने के लिए विभाग की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। किसानों को बताया जाता है कि निर्धारित मात्रा से अधिक कीटनाशक का प्रयोग करने पर उनकी ही उपज को नुकसान होता है। बेहद जरूरी होने पर भी पेस्टीसाइड का वह प्रयोग करें तो केवल जरूरत होने पर ही करें। अन्यथा ज्यादा उत्पादन लेने के चक्कर में वह निर्धारित संख्या से ज्यादा एवं अधिक मात्रा में कीटनाशक का प्रयोग करते हैं तो इसका दुष्प्रभाव उपज पर ही पड़ता है। कृषि वैज्ञानिक विधि के अनुसार प्रयोग करने की स्थिति में फिर पेस्टीसाइड का इतना ज्यादा दुष्प्रभाव नहीं होता है।
श्योपालराम जाट, कृषि अनुसंधान अधिकारी कृषि विस्तार नागौर
जैविक कीटनाशक का प्रयोग करने की देते हैं सलाह
विभाग की ओर से हमेसा प्रयास किया जाता है कि जैविक खेती अधिकाधिक मात्रा में हो। इसके लिए बताया भी जाता है कि शुरू के दो से तीन साल तक उनको कम उत्पादन की परेशानी जरूर होगी। इसके कुछ समय के बाद फिर उत्पादन होने लगता है। यह भी बताते हैं कि जैविक उत्पादन होने की स्थिति में किसानों को इसका बाजार भाव भी वर्तमान की अपेक्षा बेहतर एवं दोगुना मिल सकता है। हालांकि कुछ इससे प्रेरित होकर जैविक खेती से जुड़ते हैं, लेकिन बाद में उत्पादन कम होने पर वह हतोत्साहित हो जाते हैं। फिर भी उनको बताया जाता है कि उनको सुरक्षित कीटनाशकों को इस्तेमाल करना चाहिए। उदाहरण के तौर पर नीम आधारित और जैव कीटनाशकों का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है। उनको इस तरह के अन्य उदाहरण भी दिए जाते हैं कि जैविक उत्पादन करने के बाद भी किसान घाटे में नहीं हैं। इसमें उनको कई जगह के बारे में बताया जाता है।
स्वरूपराम, सहायक कृषि अधिकारी, कृषि विस्तार नागौर
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