नागौरPublished: Sep 10, 2023 10:00:49 pm
Sharad Shukla
NNagaur. बक्षबारस पर आज सजेंगे गाय- बछड़े, तिलक लगाकर होगा अर्चन
-पुष्य नक्षत्र, सर्वार्थ सिद्धि एवं धाता के शुभ योग में मनाया जाएगा बक्षबारस का आज पर्व
नागौर. पुत्र की दीघार्यु एवं परिवार की खुशहाली के लिए सोमवार को बक्षबारस का पर्व पुष्य नक्षत्र के साथ ही सर्वार्थ सिद्धि एवं धाता नामक शुभ योग के साथ मनाया जाएगा। इस दिन सुबह सूर्योदय से लेकर रात को आठ बजकर एक मिनट तक पुष्य नक्षत्र एवं सवार्थ सिद्धि योग एवं पुष्य नक्षत्र का योग रहेगा। महिलाएं इस दिन दिन भर व्रत रखने के साथ ही बछड़े का पूजन करेंगी। पंडित सुनील दाधीच ने बताया कि मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद महिने की कृष्ण अष्टमी तिथि को भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म हुआ था। माना गया है जन्म के बाद माता यशोदा कृष्ण को गौशाला में ले जाकर बहुला नाम गाय की पूजा करी थी। बहुला एक देवी थी जिन्होने भगवान कृष्ण की बाल लीलाए देखने के लिए गाय का रूप लेकर नंद बाबा के यहा रहने लगी थी। बहुला गाय नंद बाबा को बहुत प्रिय गाय थी। माता यशोदा ने सर्वप्रथम बहुला गाय कि पूजा अर्चना की थी। जिस दिन पूजा की उस दिन भाद्रपद महिने की कृष्ण पक्ष की द्वारदशी (बारस) होने के कारण यह बछ बारस कहलायी।
बक्षबारस पर ऐसे करें पूजन
बक्षबारस पर सुबह स्नान आदि कर भगवान सूर्य देव को जलार्पित कर तुलसी एवं पीपल के पेड़ में जल चढ़ाया जाता है। इसके बाद पूजा स्थान पर दही रखकर आटा व भीगा हुआ बाजरा रखने के साथ घी का दीपक जला कर पूजन करना है। इसके बाद बक्ष बारस की कथा सुनकर मोठ व बाजरा के ऊपर यथा शक्ति रूपया चढ़ाना चाहिए। व्रत से एक दिन पूर्व ही एक थाली में बाजरा का दान करना चाहिए। थाली ले उसमें छोटे-छोटे 13 ठेर बाजरा और मोठ के बनाकर एक कटोरी आटा व चीनी और यथा शक्ति रूपया चढ़ाना है। इस दिन व्रत रखने वाली सभी स्त्रियों को गाय का दूध, गेहूँ, चावल एवं दहीं नही खाना चाहिए। बाजरे की ठंडी रोटी खानी चाहिए। सूर्योदय से पूर्व गाय और बछड़े को सजाकर विधि अनुसार अर्चन कर नए वस्त्र ओढ़ाएं जाने के साथ ही अंकुरित मूंग, मोठ, बाजरा गाय-बछड़े को खिलाकर आरती करनी चाहिए। इस दिन व्रत रहने वालों को चावल, गेहूं नहीं खाना चाहिए। यदि घर के आसपास गाय-बछडा़ न मिले, तो गीली मिट्टी से गाय-बछड़े की मूर्तियां बनाकर उनकी पूजा की जा सकती है।
पूजन में इन सामग्रियों का होगा उपयोग
पूजन में दही, भीगा हुआ बाजरा, आटा, व मोठ, घी, दूध व चावल, रौली व मौली तथा चन्दन, अक्षत, तिल, जल, सुगधं एवं मौसमी पुष्प आदि का उपयोग किया जाता है।