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बड़ा सवाल: पर्यटन विभाग के अधिकारी बने ‘पर्यटक’, कैसे आएंगे ‘पावणा’?

locationनागौरPublished: Sep 27, 2021 09:43:52 am

Submitted by:

shyam choudhary

जिले में पर्यटन विभाग का कार्यालय नहीं होने के कारण वार-त्योहार ही आते हैं अधिकारी- जिले के पर्यटन केन्द्रों का नहीं हो रहा रखरखाव एवं प्रचार-प्रसार- पर्यटन विकास समिति की बैठकों में कलक्टर के निर्देश एक कान से सुनकर दूसरे से निकाल रहे विभागीय अधिकारी

Ahichhatrapur Fort of Nagaur

Ahichhatrapur Fort of Nagaur

नागौर. जिले में पर्यटन विकास की असीम संभावनाएं हैं। नागौर जिले में एक ओर पुरामहत्व के अनेक किले, गढ़, महल, हवेलियां, प्राचीन छतरियां एवं भवन हैं तो दूसरी तरफ धार्मिक स्थल भी देश-विदेश में अपनी अलग पहचान रखते हैं, वहीं प्राकृतिक पर्यटन स्थलों की भी कमी नहीं है। इसके बावजूद जिले में पर्यटक रूप ‘पावणों’ के कदम कम ही पड़ते हैं। पिछले कई सालों से जिले में पर्यटन उद्योग को विकसित करने की बातें हो रही हैं। समय-समय पर जिला कलक्टर की अध्यक्षता में आयोजित होने वाली बैठकों में पर्यटन विभाग के अधिकारियों को इस सम्बन्ध में निर्देश जारी किए जाते हैं, लेकिन अधिकारी एक कान से सुनकर दूसरे से निकाल देते हैं, यही कारण है कि जिले के पर्यटन स्थल आज भी पर्यटकों की बाट जोह रहे हैं। इसकी प्रमुख वजह नागौर खुद पर्यटन विभाग के अधिकारी हैं, जो जिले में वार-त्योहार पर्यटक की तरह आते हैं और औपचारिकता पूरी करके चले जाते हैं।
एक साल बाद भी टेबल पर नहीं आई ‘कॉफी टेबल बुक’
जिले के पर्यटन स्थल के रूप में विशेष पहचान रखने वाला नागौर का अहिछत्रपुर फोर्ट, ऐतिहासिक जड़ा तालाब व वीर अमरसिंह राठौड़ की छतरियां, पैनोरमा, कुचामन फोर्ट, सांभर लेक, गोठ मांगलोद का दधिमति माता मंदिर, मेड़ता का मीरा बाई स्मारक व चारभुजा मंदिर, खरनाल का वीर तेजाजी मंदिर, सूफी हमीदुद्दीन की दरगाह, दरगाह बड़े पीर साहब, बंशीवाला मंदिर, जसनगर का भंवाल माता मंदिर जैसे दर्जनों पुरामहत्व, धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व के दर्शनीय स्थल हैं, जहां पर्यटकों को लाया जाए तो न केवल सरकार को राजस्व आय होगी, बल्कि स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिलेगा। लेकिन अधिकारियों की कार्यशैली का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले एक साल से जिले के पर्यटन स्थलों की कॉफी टेबल बुक तैयार करने की केवल बातें ही हो रही हैं, बुक टेबल पर नहीं आई है।
पींपासर व खरनाल के पैनोरमा उपेक्षा के शिकार
जिले में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लाखों रुपए खर्च कर पींपासर में खरनाल में बनवाए गए पैनोरमा आज उपेक्षा के शिकार हैं। उपखंड स्तरीय पर्यटन विकास समिति की उदासीनता व नियमित रूप से कर्मचारी की नियुक्ति नहीं होने के कारण दोनों पैनोरमा पर्यटकों का इंतजार कर रहे हैं।

पद्मश्री ने मुख्य सचिव को लिखा पत्र
प्रभु भक्ति में लीन होकर देश-प्रदेश ही नहीं विश्व भर में प्रसिद्धि पाने वाली नागौर की चार संत बेटियों के मंदिरों एवं उनके जन्म स्थलों को पर्यटन से जोडऩे की मांग को लेकर पद्मश्री हिम्मताराम भाम्भू ने प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। पद्मश्री भाम्भू ने पत्र में बताया कि नागौर के मेड़ता की मीरां बाई, मकराना के कालवा गांव की कर्मा बाई, डेगाना के हरनावा की राना बाई और नागौर के मांझवास की फूलां बाई ने अपने समय में प्रभु भक्ति के माध्यम से कई चमत्कार दिखाए, जिनकी आज भी पूजा होती है वे लाखों लोगों की आस्था का केन्द्र है, इसको देखते हुए चारों के जन्मस्थान एवं मंदिरों को पर्यटन से जोड़ा जाए और उनका विकास किया जाए।

हैरिटेज, बर्ड और इको टूरिज्म पर वर्किंग प्लान से होगा काम
जिले के सांभर व डीडवाना लेक पर बर्ड टूरिज्म, रोटू व गोगेलाव में इको टूरिज्म, डीडवाना, कुचामन व परबतसर क्षेत्र में हैरिटेज टूरिज्म तथा खरनाल, गोठ मांगलोद, पींपासर व मेड़ता को प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने पर काम किया जाएगा। बर्ड टूरिज्म को बढ़ावा देने व आमजन को इसके लिए जागरूक करने के लिए गत माह हुई बैठक में पर्यटन विभाग के सहयोग से जिले में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन करवाने के लिए विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं।
– डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी, जिला कलक्टर, नागौर
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