राजास से नावां होते हुए भगवानपुरा की दूरी लगभग बीस किलोमीटर है। तथा इस मिसिंग लिंक सडक़ से यह दूरी केवल चार किलोमीटर ही है। इससे यात्रियों को लगभग सौलह किलोमीटर की यात्रा कम करनी पड़ती है। लेकिन सडक़ में गहरे गड्ढें होने के चलते वाहन चालकों व राहगीरों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है।
राजास से महाराजपुरा के बीच स्थित ढाणियों के बच्चों को कीचड़ में से होकर विद्यालय आना पड़ता है। जिससे जूते मौजे कीचड़ में सन जाते है। अभिभावकों ने पत्रिका को बताया कि बच्चें आधे रास्तें से ही कीचड़ में जूतों में पानी भर जाने के चलते वापस घर चले आते है। मार्ग में इतना कीचड़ है कि बच्चें तो दूर युवा व बुजुर्ग भी कीचड़ में सरोबार हो जाते है। ऐसे में बच्चें कैसे स्कूल जाए।
राजास से महाराजपुरा के बीच स्थित ढाणियों के बच्चों को कीचड़ में से होकर विद्यालय आना पड़ता है। जिससे जूते मौजे कीचड़ में सन जाते है। अभिभावकों ने पत्रिका को बताया कि बच्चें आधे रास्तें से ही कीचड़ में जूतों में पानी भर जाने के चलते वापस घर चले आते है। मार्ग में इतना कीचड़ है कि बच्चें तो दूर युवा व बुजुर्ग भी कीचड़ में सरोबार हो जाते है। ऐसे में बच्चें कैसे स्कूल जाए।
इनका कहना है।
इस मार्ग को क्षतिग्रस्त हुए लगभग तीन वर्ष से अधिक समय हो गया है, लेकिन विभाग के अधिकारियों ओर से कोई मरम्मत का कार्य नहीं करवाया जा रहा है। बारिश के इस मौसम में मार्ग से आवागमन दुर्लभ हो गया है।- भंवर खैरवा, अध्यक्ष कॉपरे टिव सोसायटी
इस मार्ग को क्षतिग्रस्त हुए लगभग तीन वर्ष से अधिक समय हो गया है, लेकिन विभाग के अधिकारियों ओर से कोई मरम्मत का कार्य नहीं करवाया जा रहा है। बारिश के इस मौसम में मार्ग से आवागमन दुर्लभ हो गया है।- भंवर खैरवा, अध्यक्ष कॉपरे टिव सोसायटी