Nagaur. पंचकल्याणक महोत्सव में मंगलवार को हुए विविध कार्यक्रम
-अधिवेशन में मंदिरों को सुव्यवस्थित करने के साथ बच्चों को शिक्षित करने व जरूरमतंदों का सहयोग किए जाने पर दिया गया बल
नागौर
Updated: June 14, 2022 10:02:49 pm
नागौर. आचार्य सुनील सागर महाराज ने कहा कि वर्तमान में मनुष्य मोबाइल का लती हो गया है। इसकी वजह से वह मानवीय-सामाजिक संबंधों को भूलने लगा है। आचार्य सुनील सागर सकल दिगंबर जैन समाज की ओर से आयोजित चल रहे पंचकल्याणक महोत्सव में श्रावक-श्राविकाओं को प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मनुष्य में प्रेम की भावना का क्षरण होने लगा है। परस्पर सामाजिक दूरियों के बढऩे से कई विसंगतियां उत्पन्न होने लगी है। सामजिक परिदृश्य की सामाजिकता का भाव खत्म होने लगा है। उन्होंने कहा कि बच्चों को मोबाइल से दूर करने के साथ ही खुद को भी संयमित करना होगा, अन्यथा सामाजिक जीवन का तानाबाना अपना रूप खो बैठेगा। आचार्य सुनील सागर ने कहा कि वर्तमान में सामाजिकता के साथ ही धार्मिक भावना भी होनी चाहिए। इसका ह्रास हुआ है। बच्चों एवं बड़ों में धार्मिकता को एक कार्य नहीं, बल्कि इसमें समर्पण भाव का निहित होना जरूरी है। संस्कारयुक्त होना इसकी पहली प्राथमिकता है। संस्कार विहीन कुछ भी बेहतर नहीं हो सकता है। इस दौरान अजमेर मुनि संघ कमेटी अध्यक्ष एवं सदस्यों का पंचकल्याणक समिति के ललित पाटनी व रमेशचन्द्र जैन ने तिलक लगाने के साथ माल्यार्पण कर स्वागत किया। शाम को भामाशाह अशोक समदडिय़ा, सभापति मीतू बोथरा, पार्षद नवरतन बोथरा, आदि का भी स्वागत किया गया। इसके पश्चात तीर्थराज मुनिराज की पिच्छी लेने का सौभाग्य सौधर्म इंद्र परिवार एवं अभय कुमार व तथा विकास कुमार को कमण्डल लेने का सौभाग्य मिला। इसी क्रम में आचार्य सुनील सागर का पदप्रक्षालन का सौभाग्य सुनील जैन, शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य फूलचंद, मनीष, अभिषेक, शौर्य, तेजस्वी आदि को मिला।
सुधारेंगे मंदिरों की स्थिति, जरूरतमंदों की करेंगे मदद
इस दौरान दोपहर में श्री भारत वर्षीय दिगंबर जैन महासभा का नैमितिक अधिवेशन हुआ। इसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष रेवेश तिवारिया ने सामाजिक सुधारों पर बल देते हुए कहा कि सामाजिक सुधार में पूरी सक्रियता के साथ कार्य करना होगा।शिक्षा के साथ ही संस्कारों एवं धार्मिकता को आत्मसात करते हुए आगे बढऩ़े की आवश्यकता है। प्रत्येक में भी सदैव कुछ न कुछ सुधार की आवश्यकता होती है। यूं तो सामान्यत: सभी अपने कार्यों में व्यस्त रहते हैं, लेकिन सामाजिक सुधार के लिए हमकों महती प्रयास करने होंगे। उपाध्यक्ष संतोष बडज़ात्या ने कहा कि वर्तमान युग में बच्चे पाश्चात्य संस्कृति से जल्द ही प्रभावित हो जाते हैं। इसका कुप्रभाव बच्चों एवं युवा पीढ़ी पर तेजी से पड़ा है। अब जरूरत है हमें अपने संस्कारों को अपनाने की। हमें संस्कारमय बनने के साथ ही जरूरमतंदों की मदद करने के लिए और बेहतर प्रयास करने होंगे। उन्होंनेे कहा कि आर्थिक रूप से कमजोरों की मदद के साथ ही पढऩे से वंचित बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोडऩे का काम भी प्राथमिकता के आधार करने की आवश्यकता है।राष्ट्रीय मंत्री अजीत चांदूवाड़ ने मंदिरों की स्थिति सुव्यवस्थित करने के साथ समाज के प्रत्येक बच्चों के संस्कारित होने पर बल दिया। अधिवेशन में आए अन्य वक्ताओं ने भी जरूरतमंदों के सहयोग के साथ संस्कारित शिक्षा एवं आदर्श समाज की परिकल्पना को साकार करने के लिए हरसंभाव कदम उठाए जाने पर अपनी सहमति जताई।इस दौरान विकास जैन, सुमित जैन, बसंत जैन आदि मौजूद थे। इसके पूर्व कार्यक्रम के दौरान सौधर्म इन्द्र निर्मल कुमार-किरण देवी पाटनी, भगवान के माता-पिता निर्मल कुमार-सुनिता देवी बडज़ात्या, कुबेर इंद्र दिली कुमार-सुनिता देवी सहित सभी इंद्र बीसपंथी दिगम्बर जैन मंदिर पहुंचे। जहां वेदियों का शुद्धिकरण किया गया। बाद में भगवान की महाआरती में सकल दिगंबर जैन समाज के श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा। पूरा कार्यक्रम स्थल जैनमय बना नजर आया।
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