जानकारी के अनुसार बीकानेर के पांचू थाना क्षेत्र के भादला गांव निवासी चुकी पुत्री मोडाराम व पांचौड़ी थाना क्षेत्र के भूण्डेल के श्रीयादे नगर निवासी गोविन्दराम प्रजापत ने अधिवक्ता रामदेव सिंवर के माध्यम से सिविल न्यायधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद पेश कर बताया कि दोनों बालिग हैं तथा अपना भला-बुरा सोचने, समझने में सक्षम हैं। दोनों एक-दूसरे से प्रेम करते हैं तथा दोनों के परिजनों ने करीब दो साल पहले उनका रिश्ता करते हुए सगाई की रस्म पूरी की तथा बालिग होने पर शादी करना निश्चित किया। परिवादिया चुकी ने बताया कि करीब 15 दिन पहले उसके पिता ने उसकी शादी रुपयों की खातिर कातर गांव के किसी व्यक्ति के साथ करने के लिए बात करने लगे। उसने विरोध जताया तो परिजनों ने 13 मार्च को उसके साथ मारपीट की, जिससे वह सहम गई और उसी दिन घर से निकलकर पति गोविन्दराम के पास भूण्डेल के श्रीयादे नगर आ गई। यहां उन्होंने अपनी स्वैच्छा से हिन्दू रीति रिवाज से मंदिर में शादी की और दूसरे दिन 14 मार्च को विवाह इकरारनाम निष्पादित कर लिया। इससे नाराज होकर दोनों के परिजन उन्हें जान-माल का नुकसान पहुंचाने पर आमदा हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश हैं
नवविवाहित जोड़े के अधिवक्ता सिंवर ने परिवाद में बताया कि वर्ष 2004 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय का हवाला देते हुए बताया कि बालिग युवा जो अपनी स्वैच्छा से विवाह कर जीवन जीना चाहते हैं, उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए सम्पूर्ण भारत के पुलिस व प्रशासन को आदेशित करते हुए ऐसे विवाहों के मूल अधिकारों को संरक्षित करने के निर्देश जारी किए थे। सिविल न्यायधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट नागौर ने परिवाद पर सुनवाई करने के बाद नागौर एसपी को उचित आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए।