पायलट ने कहा कि प्रदेश के किसान फसलों के सही दाम नहीं मिलने एवं अन्य परेशानियों के चलते आत्महत्या करने पर मजबूर हैं, लेकिन प्रदेश की मुख्यमंत्री को उनकी सुध लेने का समय नहीं हैं। वे सिर्फ महलों के ताले लगाने व खुलवाने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार में मंत्रियों से लेकर विधायकों व सांसदों तक की सुनवाई नहीं हो रही है। मुख्यमंत्री तानाशाही रवैये पर उतरी हुई है। इसका हिसाब-किताब आने वाले 2018 के चुनाव में प्रदेश का किसान, मजदूर, गरीब, युवा सभी मिलकर करेंगे।
जातिवाद का जहर घोलने का काम कर रही है मुख्यमंत्री प्रदेशाध्यक्ष पायलट ने कहा कि एेसा पहली बार हो रहा है, जब किसी सरकार में जाति के हिसाब से मुख्यमंत्री विधायक एवं मंत्रियों की बैठक ले रही हैं। पहले राजपूत जाति के विधायकों को बुलाकर बैठक लेती है और फिर जाट जाति के। पायलट ने कहा कि मुख्यमंत्री प्रदेश में जातिवाद का जहर घोल रही हैं।
नोटबंदी का विरोध नहीं… उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने नोटबंदी लागू की, इसका हम विरोध नहीं करते हैं, लेकिन हम यह बताना चाहते हैं कि प्रदेश व देश के किसान, गांव में बैठे मजदूर, गरीब आदमी की नोटबंदी के चलते क्या हालात हो गई है। पायलट ने कहा कि इस सरकार के राज में विजय माल्या व ललित मोदी भाग गए और सरकार ने गरीब आदमी के घर पर डाका डालकर हजारों करोड़ रुपए एकत्र कर लिए।
वोट मांगने नहीं आए पायलट ने कहा मैं या मेरी पार्टी के नेता आपसे वोट मांगने नहीं आए, वोट का समय चुनाव होता है, आज कोई चुनाव नहीं है, लेकिन किसान की सुध लेना हमारा कत्र्तव्य है। सरकार में हो या नहीं, लेकिन हमेशा किसान के साथ खड़े रहेंगे।
… तो मेरे जैसा कोई बेईमान नहीं पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की बात पर उन्होंने कहा कि वे २६ साल की उम्र में सांसद बन गए, ३१ साल में मंत्री और ३६ की उम्री में इतने बड़े प्रदेश के पार्टी अध्यक्ष बन गए। अब भी यदि मैं पार्टी से उम्मीद करूं कि मुझे और बड़ा पद मिले तो मेरे जैसा कोई बेईमान नहीं।
ये रहे उपस्थित किसान सम्मेलन में पूर्व मंत्री मास्टर भंवरलाल, हरेन्द्र मिर्धा, नसीम अख्तर, मंजू मेघवाल, पूर्व सांसद गोपालसिंह ईडवा, पूर्व विधायक रिछपालसिंह मिर्धा, महेन्द्र चौधरी, रीटा चौधरी, पूर्व डीजीपी के. राम बगडिय़ा, पूर्व विधायक रामचन्द्र जारोड़ा, जिला परिषद एवं प्रदेश यूथ कांग्रेस के सचिव प्रेमसुख कड़वासरा सहित प्रमुख नेता उपस्थित रहे।