नागौरPublished: Sep 25, 2018 12:37:31 pm
Sharad Shukla
निर्माण की गड़बड़ी अब आने लगी सामने : सोमवार को शिशु वार्ड में हुई घटना, घटना से डरे बच्चे नहीं हो रहे थे चुप’वार्ड में सहमे बच्चों-परिजनों की लगी रही छत पर निगाह, अनहोनी की आशंका से स्थिति हुई विकट
Medical Department gives life to more than 100 children
नागौर. जिला मुख्यालय के जिला हॉस्पिटल में करीब नौ करोड़ 75 लाख की लागत से नवनिर्मित मदर एण्ड चाइल्ड विंग भवन निर्माण में तकनीकी एवं सामाग्री की गुणवत्ता में हुए घालमेल के अब भयावह परिणाम सामने आने लगे हैं। सोमवार को चाइल्ड विंग के चिल्ड्रन वार्ड में भर्ती तीन साल के बच्चेइरशाद पर छत का प्लास्टर गिर पड़ा। प्लास्टर गिरते ही जोरदार आवाज हुई, इरशाद की चीख सुनकर मौके पर लोग एकत्रित हो गए। इस घटना से वहां पर भर्ती अन्य बच्चों के परिजन भी सकते में आ गए। जानकारी मिलने के बाद भी एनएचएम के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचने की जहमत तक नहीं उठाई। जिम्मेदारों का अस्पताल सरीखी संवेदनशील जगहों पर कर्तव्यों के प्रति उदासीन होना समझ से परे रहा है।
जवाहरलाल नेहरू राजकीय चिकित्सालय परिसर में करोड़ों की लागत से बनी मदर एण्ड चाइल्ड विंग भवन निर्माण में हुई गड़बडिय़ों की कलई खुलने लगी है। हालांकि गड़बडिय़ों की शिकायत के बाद जांच के लिए पहुंची एसीबी टीम यहां से आधा दर्जन से अधिक भवन के दीवार एवं छतों आदि के नमूनों को लेकर गई तो, लेकिन फोरेंसिक रिपोर्ट आने तक कोई जांच नहीं होगी, भले ही अस्पताल परिसर में कोई अनहोनी हो जाए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सुबह करीब दस बजे मदर एण्ड चाइल्ड विंग भवन परिसर में स्थापित शिशु वार्ड-67 में छत से प्लास्टर से गिर पड़ा। प्लास्टर सीधे एक इरशाद के हाथ पर गिरा। सो रहा इरशाद चीख मारते हुए जाग गया और रोने लगा। इस दौरान स्लैब गिरने की तेज आवाज एवं बच्चे की चीख सुनकर पहुंचे वार्ड के बाहर मौजूद परिजन भागते अंदर पहुंचे। वार्ड का नजारा देखकर दंग रह गए। पूरे वार्ड में प्लास्टर गिरने के साथ ही गर्द भी फैल गई थी। जानकारी मिलने के बाद अस्पताल के चिकित्साकर्मी वहां पर पहुंच गए। इसकी जानकारी एनएचएम को भी दी गई, लेकिन एनएचएम से कोई नहीं पहुंचा।
डरे बच्चे, सहमे परिजन
मदर एण्ड चाइल्ड विंग के शिशु वार्ड के छत की स्लैब गिरने के बाद मौके पर हालात बेहद ही डरावने मिले। रोते-चीखते बच्चों के साथ डरे हुए परिजनों के चेहरों पर कई सवाल कौंध रहे थे। वार्ड के एक बेड पर भर्ती इस घटना से डरा इरशाद लगातार रोए जा रहा था। उसके पिता अख्तर अली ने बताया कि इरशाद पर छत से प्लास्टर गिर पड़ा था। यह अगर सिर या आंख पर गिरता तो फिर स्थिति बेहद ही खराब हो सकती थी। अस्पताल के चिकित्साकर्मी से कहो तो फिर वह बोलते हैं कि इसमें हम क्या कर सकते हैं। यह बिल्डिंग उन्होंने तो बनाई नहीं। उन्हें तो बनाकर दे दी गई। अख्तर अली का कहना है कि उनका एक और बच्चा दिलशाद भी इसी वार्ड में भर्ती है। शिशु वार्ड में प्लास्टर गिरने के बाद उसके टुकड़े केवल बच्चे पर ही नहीं, बल्कि वार्ड के अन्य हिस्से में भी गिरे। वार्ड में प्रवेश करने पर उसके टुकड़े जगह पर बिखरे हुए मिले। इसके कारण पूरे वार्ड क्षेत्र में धूल का गुबार भरा हुआ था।
&मदर एण्ड चाइल्ड विंग निर्माण की जांच चल ही रही है। इसमें अस्पताल प्रशासन की ओर से रोगियों की सुरक्षा के लिए यथासंभव कदम उठाए जाएंगे।
निर्माण में घालमेल के बाद भी कार्रवाई नहीं
मदर एण्ड चाइल्ड विंग परिसर में छत से प्लास्टर गिरने की इसके पहले भी घटनाएं हो चुकी हैं। इस पूरे निर्माण के तकनीकी ढांचे के साथ ही निर्माण के दौरान प्रयुक्त सामाग्री की गुणवत्ता पर भी संदेह गहरा गया है। निर्माण के दौरान बरती गई लापरवाही या उदासीनता के कारण इस पूरे भवन निर्माण की गुणवत्ता भी संदिग्ध हो चुकी है। इस संबंध में शिकायत मिलने के बाद जांच कर रही एसीबी टीम ने भी नमूने लिए जाने के दौरान तकनीकी विशेषज्ञों ने जांच कराई थी। इसमें भी यह पूरा निर्माण ही घटिया स्तर का प्रारंभिक स्तर पर मिला। इसके बाद भी निर्माण की प्रक्रिया में शामिल जिम्मेदारों के खिलाफ अब तक कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है। केवल नमूनों को लेकर ही जांच की खानापूर्ति करने के साथ ही फोरेंसिक रिपोर्ट आएगी तो जांच कर ली जाएगी के रटे-रटाए वाक्य पर एसीबी की छानबीन थम गई है।
एनएचएम को पता नहीं
घटना के संदर्भ में एनएचएम के अधिकारियों को शाम तक पता ही नहीं चला। जबकि विभागीय जानकारों का कहना है कि इसकी सूचना एनएचम के स्थानीय अधिकारियों को दी गई। शाम तक इनका कोई भी अधिकारी जांच के लिए नहीं पहुंचा। इस संबंध में जयपुर में एनएचएम के एसई सुनील सक्सेना से मोबाइल पर बात हुई तो उनका कहना था कि इस संबंध में नागौर के एनएचएम अधिकारियों से बात कर सही वस्तुस्थिति पता करता हूं। विडंबनापूर्ण स्थिति यह रही कि नागौर एनएचएम के अधिकारी न तो मौके पर पहुंचे, और न ही इस गंभीर घटना की सूचना जयपुर स्थित एनएचएम को दी गई। इससे साफ है कि यह पूरा प्रकरण ऊपर से लेकर नीचे तक ही संदिग्ध है।
डॉ. वी. के. खत्री,
पीएमओ, नागौर