स्कूल भवन का निर्माण एसीसी कंपनी द्वारा दी गई जमीन पर हुआ है। कंपनी के अधिकारियों से सम्पर्क कर भूमि सरेंडर करने का अनुरोध करेंगे ताकि आगे की प्रक्रिया पूरी की जा सके।
आशाराम जांगू, सरपंच,बाराणी, नागौर
नागौरPublished: Sep 16, 2017 11:20:39 am
Dharmendra gaur
गांवों में शिक्षा को बढावा देने के लिए भामाशाहों से सहयोग से हुआ था भवनों का निर्माण,मरम्मत के अभाव में जर्जर हो रहे भवन।
Bhadwasi School in nagaur
धर्मेन्द्र गौड़ @ नागौर. गांवों में शिक्षा को बढावा देने के लिए भामाशाहों ने खून पसीने की गाढी कमाई लगाकर स्कूल भवनों का निर्माण कराया लेकिन विभागीय अधिकारियों की लापरवाही से ऐसे भवन खंडहर हो रहे हैं। जिले में भामाशाहोंं से सहयोग से बने ऐसे कई स्कूल हैं जिनकी गिफ्ट डीड शिक्षा विभाग के पक्ष में नहीं होने से स्कूल भवन की मरम्मत विभागीय खर्च से नहीं की जा सकती। वर्षों पहले बने ये भवन मरम्मत के अभाव में खंडहर हो रहे हैं और विद्यार्थियों के सिर पर हमेशा खतरा मंडराता रहता है।
सरकारी मद से नहीं होती मरम्मत
जिला मुख्यालय से 15 किमी दूर स्थित भदवासी में राजकीय माध्यमिक विद्यालय समेत जिले में ऐेसे कई विद्यालय है जिनके भवन का मालिकाना हक विभाग के पक्ष में नहीं होने से भवन जर्जर हो रहे हैं। नागौर से 25 किमी दूर जोधियासी में भी कुछ वर्ष पहले भामाशाह परिवार ने बालिकाओं के लिए स्कूल भवन का निर्माण करवाया। जिसमें राजकीय बालिका माध्यमिक विद्यालय संचालित है। ऐेसे कई स्कूल भवन हैं जिनका मालिकाना हक पंचायत या भामाशाहों के पास ही है। ऐसे में इन स्कूलों में छोटी-मोटी मरम्मत आदि का काम भी विभाग नहीं करवा पाता है।
भामाशाहों ने बनवाए थे कमरे
दरअसल, भदवासी में स्कूल प्राथमिक स्कूल संचालित होता था, जिसे उच्च प्राथमिक में क्रमोन्नत करवाने के लिए तत्कालीन समय में वहां काम कर रही एसीसी कंपनी के अधिकारियों ने तीन कक्षा कक्षों का निर्माण 15 अगस्त 1975 में करवाया तथा सात साल बाद 15 अगस्त 1982 को कंपनी ने विद्यालय को उच्च प्राथमिक से उच्च माध्यमिक में क्रमोन्नत करने के लिए कमरा बनवाया। इसके बाद भामाशााहों के सहयोग से अन्य कक्षों का निर्माण भी करवाया गया, लेकिन विभाग के पक्ष में गिफ्ट डीड नहीं होने से इनकी मरम्मत नहीं हो रही है।
आखिर क्या है गिफ्ट डीड
गिफ्ट डीड एक तरह का दस्तावेज है, जिसका इस्तेमाल नकद या वस्तु के रूप में किसी उपहार के लेन-देन के समय इस्तेमाल किया जाता है। जमीन अचल उपहार श्रेणी में आती है और इसकी गिफ्ट डीड बनाया जाना अनिवार्य है। गिफ्ट डीड बनाने का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि भविष्य में वस्तु के मालिकाना हक और उसके संबंध में कर भुगतान को लेकर कोई विवाद खड़ा नहीं होता। गिफ्ट डीड बनवाने के बाद इसे सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकृत कराना होगा। स्टैम्प ड्यूटी वस्तु की कीमत पर सभी राज्यों में अलग-अलग होती है।